Published On : Wed, Oct 14th, 2020

AG ENVIRO के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही राज्य की सत्ताधारी पक्ष

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– विगत दिनों AG ENVIRO ने दक्षिण-पश्चिम नागपुर के एक लॉन में अपने अधीनस्त सफाईकर्मियों की बैठक लेकर 180 कर्मियों को सेवामुक्त कर दिया

नागपुर : मार्च माह से कोरोना महामारी शुरू हुई,इस महामारी के दौर में मनपा अधीनस्त तमाम सफाई कामगारों ने सिद्दत से खुद की जान-जोखिम में डाल कर शहर को साफ़-सुथरा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।अब जबकि कोरोना से राहत मिलना शुरू हुई तो AG ENVIRO नामक मनपा के अधीनस्त कचरा संकलन करने वाली कंपनी ने 180 कामगारों को एक तय रणनीत के आधार पर घर का रास्ता दिखा दिया। कोरोना के भीषण काल में इन कामगारों के सुख-दुख से परहेज रखने वाली राज्य की सत्ताधारी पक्ष अब बर्खास्त 180 को पुनः बहाल की आड़ लेकर अपनी रोटी सेंकना शुरू कर दी.सत्ताधारी दोनों पक्षों के खींचातानी से बर्खास्त पशोपेश में हैं और चर्चा कर रहे कि इस चक्कर में किसका भला होंगा ? दोनों सत्ताधारी पक्षों ने अपने-अपने तर्क के बिना पर मनपा आयुक्त से मुलाकात की और मांग पर गौर कर पूरी करने की कोशिश करने का आश्वासन दिया।

याद रहे कि AG ENVIRO को मनपा के जोन 1 से 5 क्षेत्र अंतर्गत बिना जमीन पर गिरे गिला-सूखा अलग-अलग कचरा संकलन कर भांडेवाड़ी में अलग-अलग जमा करने का ठेका दिया गया था,उसी तरह BVG को भी जोन 6 से 10 तक कचरा संकलन करने का ठेका दिया गया था.

AG ENVIRO ने शुरुआत में ही मनपा से करार के अनुसार कर्मियों की भर्ती में अधिकांश भर्ती में कर्मियों से 5 से 6 आंकड़ों में घुस ली थी,इसके लिए सिफारिश करने वाले कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी 5 आंकड़ों में घुस लेकर सिफारिश पत्र दिया था.अर्थात AG ENVIRO को उनके अधीनस्त कार्यक्षेत्र के काम के अनुसार कितने कर्मियों की जरुरत हैं,उन्हें भलीभांति पता थी.इसके बावजूद भी उन्होंने SURPLUS कर्मियों की भर्ती घुस लेकर की और कंपनी के लिए RUNNING CAPITAL जमा किया,यह और बात हैं कि इस कारनामों के कर्ताधर्ता ने भी अपना जेब गर्म कर लिया था.इस RUNNING CAPITAL से ही AG ENVIRO का पहले 6 माह निकल गया.अल्प मशीनरी से कचरा की जगह मलवा जैसे भारी वजनदार की परिवहन कर लम्बे चौड़े बिल बनाए,रेलवे परिसर के कचरे भी ट्रको से उठाए। सहयोगी के रूप में स्वास्थ्य समिति सभापति को छोड़ कर सभी को उनके-उनके हिसाब से ADJUST किए.मनपा प्रशासन को AG ENVIRO और BVG के कारनामों को सबूत सह ग़ैरकृतो को भी ध्यान में लाए लेकिन मजबूर मनपा प्रशासन ने सिर्फ मौन प्रदर्शन ही आजतक किया।

‘मरता क्या न करता’ कोरोना काल में उक्त सभी कर्मियों ने अपनी-अपनी जान-जोखिम में डाल कर शहर को स्वास्थ्य रखने में अहम् भूमिका निभाई,नतीजा केंद्र स्तर पर नागपुर शहर का स्वच्छता मामले में ग्राफ भी ऊँचा हुआ.अब जबकि कोरोना काल का खौफ कम होने लगा तो AG ENVIRO प्रबंधन ने एक बैठक लेकर 180 कामगारों को अचानक काम से बेदखल करने की घोषणा की और उन्हें लगभग सभी को 60000-60000 रूपए देने की घोषणा की,इसके एवज में उन्हें एक अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया गया था कि वे स्वेच्छा से नौकरी छोड़ रहे हैं.लेकिन सभी ने इसका विरोध किया। कल मंगलवार को खबर मिली कि बर्खास्त कर्मियों के अलावा सभी को वेतन दे दिया गया.

उक्त खबर आग की तरह फ़ैल गई.और इसे भुनाने के लिए कल मंगलवार को कांग्रेस का शिष्टमंडल मनपायुक्त से मुलाकात कर उक्त सभी को काम पर वापिस लेने की मांग की,अन्यथा 17 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन की चेतावनी दी.दूसरी ओर सेना ने भी आयुक्त से उक्त मामले को लेकर आयुक्त से मिले,मांग पूरी न होने पर वे सड़क पर उतर आंदोलन करेंगे।

उल्लेखनीय यह हैं कि राज्य में सेना-कांग्रेस की सरकार हैं,इसके बाद भी आंदोलन करना पड़ेंगा,जो निंदनीय हैं.उक्त दोनों पक्षों ने नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे से उक्त मामले पर दखल लेकर मसला सुलझा लेना चाहिए था,बजाय निवेदन,मोर्चा,चेतावनी के ? सत्ताधारी पक्ष होने के बाद भी उन्हें अस्तित्व की लड़ाई लड़ने की क्यों जरुरत पड़ रही,ऐसा सवाल बर्खास्त कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं लेकिन वे शिवाय शांत रहने के कुछ नहीं कर सकते।