Published On : Wed, Jul 5th, 2017

शहर के व्यापारियों का सवाल सरकार ने जीएसटी लागू किया या थोपा

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नागपुर:
 1 जुलाई से जीएसटी का लागू हो जाना भले ही देश में कर सुधार का बड़ा कदम हो लेकिन इसकी वजह से शुरुआती दौर में व्यापार पर बुरा असर पड़ा है। जीएसटी को लागू हुए बुधवार को पाँच दिन हो चुके है पर अब तक इस नई कर प्रणाली को लेकर बाजार,व्यापारी और ग्राहक में संभ्रम की स्थिति बनी हुई है। कर के जंजाल से जीएसटी के माध्यम से व्यापारी मुक्ति तो पा चुके है लेकिन अब उनके सामने आगामी कुछ वक्त तक व्यापार के सुचारु तौर पर चलाने की चुनौती सामने खड़ी है। व्यापारी जीएसटी का स्वागत जरूर कर रहे है पर सरकार द्वारा इसे जबरन थोपने का आरोप भी लगा रहे है। व्यापारियों के मुताबिक सरकार ने नोटबंदी की तरह जीएसटी को भी लागू किया है। खुद सरकार की विभिन्न एजेंसिया इस सिस्टम को समझ नहीं पाई है। सरकार ने जिस तरह से फैसला लिया उससे साफ़ है जीएसटी लागू नहीं किया गया है बल्कि उसे थोपा गया है।

बाजार में शुरू है बोगस बिलिंग का सिलसिला
सरकार द्वारा जीएसटी लागू हो जाने के साथ ही बाज़ार में फ़ायदे नुकसान का गुणाभाग शुरू हो गया है। मौजूदा कर के प्रारूप में जिस वस्तु पर पहले के मुकाबले ज्यादा कर लगा है उनको बेचने के लिए व्यापारी पिछली तारीख पर बिलिंग कर रहे है। खरीददार और व्यापारी आपसी तौर पर सहमति से यह काम कर रहे है। व्यापारियों के अनुसार जीएसटी में उनके पुराने स्टॉक को बेचने के नियम स्पष्ट नहीं है जिस वजह से उनके पास स्टॉक करके रखे गए माल को बेचना आगामी दिनों में मुश्किल भरा हो सकता है इसलिए वह पिछली तारीख में ही बिलिंग करने को मजबूर है।

जीएसटी को लागू हुए पाँच दिन बीत चुके है इस दौरान नागपुर शहर का व्यापार पूरी तरह से चरमरा गया है। प्रमुख बाजार ईतवारी में व्यापार ठंडा पड़ा है। अभी ग्राहक और व्यापारी वस्तुओं पर लगाने वाले कर को समझने में ही उलझे हुए है। ईतवारी किराणा मर्चेन्ड एसोसिएशन के सचिव शिवप्रताप सिंग के अनुसार व्यापारी तो लंबे समय से जीएसटी की माँग कर ही रहा था वह इसके लिए तैयार भी था। लेकिन जिस तरह से इसे लागू किया गया उससे यही लगता है की यह हम पर थोपा गया है। सरकार ने अंतिम समय में वस्तुओं पर लगाने वाले टैक्स स्लैब को जारी किया इसमें अंतिम समय तक बदलाव किया गया जिससे यह साफ़ होता है की यह फ़ैसला जल्दबाजी में लिया गया। इसे लागु करने से पहले इस पर चर्चा होती,बहस होती तो बेहतर होता। अभी तो खुद सरकार की यंत्रणा ही तैयार नहीं है।

मसाले के व्यापार से जुड़े चंदन गोस्वामी जीएसटी को व्यापारी के लिए हितकर तो मान रहे है। लेकिन जीएसटी को लागू करने के तरीके से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है की इसे लागू करने से पहले सरकार आम व्यापारी और बाजार तक पहुँचने में नाकाम रही। एयरकंडीशन कमरों में बैठने वाले कुछ चुनिंदा लोग जो ख़ुद को व्यापारी नेता मानते है उनसे इस संबंध में चर्चा की गई। उन्होंने सरकार को वही सुझाव दिए जो उनके लिए फायदेमंद थे। जीएसटी लागू होने को पाँच दिन हो चुके है फिर भी अब तक व्यापारियों को जीएसटी नंबर नहीं मिल पाया है। महीने में तीन और साल में 37 बार रिटर्न भरना व्यापारियों के मुनीम और चार्टेंट अकाउंटेंट का खर्चा बढ़ता है। कुछ ऐसी वस्तुओं पर जीएसटी लगाया गया है जिन पर पहले कभी कर था ही नहीं ऐसे सामान बेचने वालो को आगामी दिनों में तकलीफ़ होगी।

एनवीसीसी के महासचिव जयप्रकाश पारेख भी मान रहे है की जीएसटी अभी व्यापारियों के लिए जटिल समस्या जैसा है। इसे समझने का प्रयास हो रहा है जिसमे वक्त लगेगा। उनके मुताबिक प्राथमिक तौर पर जीएसटी को अपनाना बड़ी कंपनियों के लिए आसान है लेकिन जो बाजारों में काम कर रहे है उनके लिए थोड़ा मुश्किल है। कम से कम तीन महीने इसे समझने में लगेंगे। सरकार ने पहला रिटर्न भरने के लिए भले ही तीन महीने का समय दिया हो लेकिन यह समय व्यापारियों को नहीं बल्कि अधिकारियों और व्यापारियों को दिया गया है क्युकी वह ही अब तक इससे अनभिज्ञ है।