गोंदिया। एक तरफ सरकार आदिवासी क्षेत्र के नागरिकों के लिए सभी सुविधा मुहैया करने की बात कर रही है और दुसरी ओर इस क्षेत्र के रास्तों की दिन ब दिन दुर्दशा हो रही है. आदिवासी क्षेत्र में परिवहन सेवा के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार हर साल अधिक प्रमाण में निधी बांटती है. यह निधी यहां के रास्ते निर्माण और मरम्मत करने के लिए खर्च की जाती है. यह निधी हरसाल करोड़ों में होती है. निधी तो हरसाल खर्च होती है लेकिन रास्तों की हालत वैसे ही रहती है.
जिलें के सालेकसा, देवरी, अर्जुनी में सड़क अर्जुनी यह क्षेत्र आदिवासी होकर नक्सलग्रस्त है. उस नक्सलग्रस्त क्षेत्र के सुधारना के लिए हरसाल करोड़ों रुपयों का अनुदान दिया जाता है. लेकिन यह निधी दिए हुए कामों के लिए खर्च ना होकर कॉन्ट्रेक्टर और अधिकारी आपस में बांट लेते है पता चला है.
यह क्षेत्र नक्सलग्रस्त होने पर कोई भी बड़ा अधिकारी जाँच के लिए नहीं आता. जिससे काम करनेवाले कॉन्ट्रेक्टर और स्थानीय अधिकारीयों को वरिष्ठ अधिकारियों का डर नहीं रहां. इससे आदिवासी क्षेत्र में अभीतक निर्माण किए गए रास्ते घटिया दर्जे के है और दो महीनों में उखड रहे है. फिर भी उक्त निर्माण की जाँच करके दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए ऐसी मांग आदिवासी क्षेत्र से हो रही है.