Published On : Sat, Jul 10th, 2021

उपराजधानी की नई जिलाधिकारी को मिलेगी रेत माफियाओं से चुनौती

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– अवैध सरकारी खनिज संपदा के उत्खनन से राज्य सरकार को सालाना करोड़ों में नुकसान हो रहा


नागपुर : कल शुक्रवार को राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारियों के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण फेरबदल करते हुए नागपुर के विवादास्पद जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे का अन्यत्र तबादला कर उसकी जगह विमला आर को नया जिलाधिकारी नियुक्त किया।इससे खासकर नागपुर ग्रामीण में कहीं ख़ुशी तो कहीं गम नज़र आ रहा.इस नई जिलाधिकारी को जिले के रेत माफियाओं से जूझना होगा,अर्थात जिले में पिछले डेढ़ साल से अवैध रेत उत्खनन का सिलसिला जारी हैं.या तो इन्हें शक्ति से रोकना होगा या फिर इनके समक्ष नतमस्तक होने की नौबत आ सकती हैं.जैसे कि पूर्व जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे थे.

याद रहे कि नागपुर जिले को पिछली दफे ऐसा जिलाधिकारी दिया गया था,जो जिले पर नियंत्रण रखने में पूर्णतः असफल रहा.इनके कार्यकाल में अवैध रेत उत्खनन,खनिज सम्पदा का बिना अनुमति के दोहन,सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण आदि को काफी बढ़ावा मिला था.

रेती उत्खनन पिछले डेढ़ साल में अधिकृत/अनाधिकृत रेत घाटों से 24 घंटे रेत उत्खनन किया गया.अनुमति ली गई स्टॉक की रेती बेचने की और मशीन लगाकर रेत उत्खनन किया गया,जो आज भी जारी हैं.इस ग़ैरकृत में जिलाधिकारी सह जिला खनन अधिकारी ने भरपूर सहयोग किया।जिले के एक रेत माफिया के अनुसार जिलाधिकारी कोई भी आए,रेत उत्खनन पर आंच कभी नहीं आएगी,क्यूंकि इस व्यवसाय में मंत्री-संत्री बराबरी में शामिल हैं और मंत्री-संत्री से जिलाधिकारी कभी कोई पंगा नहीं लेते,शुरुआत में कड़क रहते हैं,जो कि रहना चाहिए फिर ‘जैसे थे’ की स्थिति में आ जाते हैं.अब देखना यह हैं कि नई जिलाधिकारी इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं.

याद रहे कि रेत की टेंडर शर्तें के विरोध में उत्खनन जारी हैं,टेंडर लेने के लिए लगाए गए राशि की वसूली हो चुकी हैं,नई जिलाधिकारी ने नरमी बरती तो ‘लमसम’ मुनाफा इस बार भी कमा लेंगे ठेकेदार माफिया वर्ग और पर्यावरण की ऐसी तैसी कर देंगे।

गिट्टी,मुरुम आदि का हिसाब नहीं
जिले के कई पहाड़िया के पत्थर,गिट्टी,मुरुम आदि की बिना अनुमति के खोद कर या तो समतल कर दिए गए या फिर खाई बना दी गई.इस बाबत अनगिनत शिकायतें जिला प्रशासन को दी जाने के बाद सिर्फ लीपापोती की गई.कुछ ने अनुमति ली 500 ब्रास का और 5000 ब्रास उत्खनन कर चलते बने.आज भी जिले में कहीं न कहीं अवैध उत्खनन का क्रम जारी हैं और सरकारी/गैर सरकारी परियोजनाओं को पत्थर,गिट्टी और मुरुम की पूर्ति की जा रही.

सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीनें हड़प कर बेच दी गई उमरेड तहसील अंतर्गत मौजा पीटीचुवा के खसरा क्रमांक ६, ८,१२, ३१,३२ ,३३,३५, ३६,३९,४२ ,४२,४४,३८ ,४३,४५,४८,४६,६३,४६,४७,४९,७९,६४,६५,६६,७४,८२,८९,९३,८४/१,८४/२,८४/३,८४/४,८७,९४,१०८,११२,११३,१५५,११६,१२१,व १२९ के भूखंड की खरीदी-बिक्री में आपके विभाग के सम्बंधित पटवारी ने बगैर जाँच के ७/१२ पर मेसर्स एमके हाउस रियल एस्टेट के माणिकराव दयारामजी वैद्य के नाम पर चढ़ाया गया.दूसरी ओर कार्यालयीन रिकॉर्ड से इस बाबत खरीदी-बिक्री के दस्तावेज जानबूझकर गायब कर दिया गया हैं.तहसील उमरेड द्वारा पारित आदेश दिनांक १२-१२-२००८ के बाद भी उक्त भूखंडों की खरीदी-बिक्री मेसर्स एमके हाउस रियल एस्टेट ( माणिकराव दयाराम वैद्य की मृत्यु बाद ) के जिम्मेदार प्रतिनिधि द्वारा आज भी हैं जो कि पूर्णतः अवैध व सरकारी आदेश की पूर्ण अवमानना दर्शित करती हैं.उक्त मामले की जानकारी पूर्व जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे को दी गई थी लेकिन पिछले डेढ़ साल में उन्होंने शिवाय मामला दबाने के अलावा कुछ नहीं किया। इस मामले में नई जिलाधिकारी से गंभीर पहल की गुजारिश की गई हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि जिले में NA होना बंद हो गए,पिछले जिलाधिकारी ने सिर्फ करीबियों और उनके सिफारिशों पर ही NA के प्रस्तावों को मंजूरी दी.इसके अलावा कोरोना काल में माइनिंग फंड का दुरूपयोग,RTE के तहत प्रवेश में धांधली व इसमें दलालों सह स्कूल संचालकों की मिलीभगत से सरकार को चुना लगाया जा रहा आदि ज्वलत विषय नई जिलाधिकारी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी,गर उक्त मामलों को नियमानुसार करने की कोशिश की गई तो………।