नागपुर।
विदर्भ की औद्योगिक इकाइयों को बिजली दरों में विशेष छूट देने को लेकर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बावजूद, बाद में उस छूट से इनकार कर दिया गया। इस कार्यप्रणाली के विरोध में विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
साल 2021 में दायर इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अब तक दो बार सरकार को और अब याचिकाकर्ता को अंतिम अवसर प्रदान किया है। लेकिन बार-बार सुनवाई स्थगित होने के चलते अब यह मामला फिर जून के दूसरे सप्ताह तक लटक गया है। इस बार हाईकोर्ट ने याचिका में मौजूद कुछ तकनीकी खामियों को तुरंत दुरुस्त करने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए हैं।
पृष्ठभूमि:
हाईकोर्ट ने 16 नवंबर 2022 को हुई सुनवाई में बिजली विभाग को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। उस समय प्रतिवादी विभाग को अंतिम अवसर दिया गया था। लेकिन 24 जनवरी 2023 को फिर से राज्य सरकार ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि यदि दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने पर विचार किया जाएगा। इसके बाद भी सुनवाई 9 फरवरी 2023 को स्थगित हो गई और फिर मामला दो सप्ताह के लिए टल गया। अब छह सप्ताह बाद पुनः सुनवाई होनी है।
याचिकाकर्ता की दलील:
राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग ने 29 जून 2016 और 24 मार्च 2017 को अधिसूचनाएं जारी कर विदर्भ में स्थापित या संचालित हो रही औद्योगिक इकाइयों को 40 पैसे प्रति यूनिट की बिजली दर में छूट देने की घोषणा की थी। हालांकि अधिसूचना को रद्द नहीं किया गया, लेकिन सरकार ने लाभ देने से इंकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति का गठन कर ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन समाधान न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी।