नागपुर: नागपुर यूनिवर्सिटी के बीए पाठय्रकम के चौथे सेमिस्टर के इतिहास विषय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर एक अध्याय शामिल किया गया है. इस फैसले के खिलाफ जनार्दन मून ने स्वयं द्वारा गठित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम वाली संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर बंबई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ में रिट याचिका दायर की है.राज्य सरकार ने मून द्वारा राष्ट्रीय आरएसएस का नाम का उपयोग करने पर ऐतराज जताया है. कोर्ट से कहा है की यह पंजीकृत संस्था नहीं है. लिहाजा मून यह नाम इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोर्ट को सरकार के ऐतराज में तथ्य नजर आए.
लिहाजा कोर्ट ने मून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम हटाने को कहा है. इस संबंध में सोमवार को अर्जी देने का आदेश दिया है. मामले पर न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और विनय जोशी की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई.यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ़ स्टडीज ने बीए पाठय्रकम के चौथे सेमिस्टर के इतिहास विषय में बदलाव करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर एक अध्याय शामिल किया गया है साथ ही साम्यवाद का उदय व् विकास नामक अध्याय हटा दिया गया है.
मून का कहना है की मूल आरएसएस पंजीकृत संस्था नहीं है. नागपुर यूनिवर्सिटी के पाठय्रकम में उस पर अध्याय शामिल करना अवैध है. इस फैसले का विभिन्न सामाजिक संघटनो और विद्यार्थियों ने विरोध किया है. स्वतंत्रता आंदोलन में संघ का योगदान शून्य है. विद्यार्थियों को हकीकत के विपरीत पाठ्यक्रम पढ़ने पर मजबूर नहीं किया जा सकता.