नागपुर: नागपुर में शुरू मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को लेकर सोमवार को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने तल्ख़ टिपण्णी की। अंबाझरी तालाब के किनारे शुरू परियोजना के कार्य पर याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहाँ की समझ में नहीं आ रहा है की मेट्रो को राज्य सरकार चला रही है या सरकार को मेट्रो।
सोमवार को हाईकोर्ट में मेट्रो के ख़िलाफ़ सामाजिक कार्यकर्ता की जनहित याचिका की सुनवाई थी। पीआईएल संख्या 96/2017 की सुनवाई कर रही दोहरी पीठ के न्यायाधीश भूषण गवई ने कहाँ की उन्होंने इस पुरे प्रकरण के बारे में अखबारों में पढ़ा है। इस मामले में अदलात सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को पहले ही कहाँ था बावजूद इसके सोमवार को फिर से स्टैंडिग गवर्मेट काउन्सिल की तरफ से पैरवी कर रहे वकील दीपक ठाकरे से दो हफ़्ते का समय माँगा। अदालत ने अब सरकार को दो हफ़्ते के भीतर यानि 12 मार्च तक रिप्लाय फ़ाइल करने को कहाँ है।
अपनी जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है की अंबाझरी तालाब किनारे शुरू मेट्रो रेल के काम से तालाब को ख़तरा है। तालाब मिट्टी का है जिसके संरक्षण के लिए कुछ ख़ास नियम है। राज्य सरकार की एजेंसी डैम सेफ़्टी ऑर्गेनाइजेशन तालाबों की सुरक्षा की देख रेख का काम संभालता है। डीएसओ का नियम तय की मिट्टी के डैम की सीमा से 200 मीटर ईलाके तक किसी भी तरह का निर्माणकार्य नहीं किया जा सकता बावजूद इसके अंबाझरी तालाब किनारे एमएनआरसीएल द्वारा काम किया गया। ख़ास है की इस काम के लिए डीएसओ की इजाज़त भी नहीं ली गई। मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।