नागपुर: जिलाधिकारी कार्यालय पर समूचे जिले का कार्यभार होता है. इसी के तरह प्रशासनिक कामकाज का अनुकरण जिले के शेष विभागों के कार्यालयों से किए जाने की अपेक्षा क्षात्र कोई करता है. लेकिन दुर्भाग्य से जिलाधिकारी कार्यालय इन दिनों गंदगी में जकड़ा हुआ नजर आता है, जिसका अनुकरण शायद ही कोई करे यह बिलकुल भी अपेक्षित नहीं. जिलाधिकारी और निवासी जिलाधिकारी के कक्ष और गलियारे को केवल अगर छोड़ दिया जाए तो शेष सारे विभागों के गलियारे पीक दान बन चुके हैं. परिसर के शौचालयों की हालत तो इतनी बुरी है कि वहां क्षण भर भी खड़े रह पाना किसी सज़ा से कम नहीं लगता.
ध्यान देनेवाली बात ये है कि जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से करीब तीन वर्ष पहले ही दीवारों को इन्हीं पान ख़र्रे की पीकों से बचाने के लिए टाइल्स लगाए गए थे. ताकि दीवार गंदी होने पर उसे आसानी से साफ किया जा सके. लेकिन यहां दीवारों को पीक से रंगने से बचाने संबंधि कोई उपाय होते नजर नहीं आ रहे, उल्टे पीक से गंदे हो चुकी दीवारों की टाइल्स को साफ करने के लिए भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जाहिर है इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत हफ़्ते में एक दिन परिसर स्वच्छता का अभियान ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.