Published On : Wed, Aug 7th, 2019

वर्ष 1895 की संकल्पना व्हिरेंडीएल फ्रेम द्वारा सीताबर्डी जंक्शन का होगा आकर्षक लुक

Advertisement

नागपूर : महानगर में मेट्रो परियोजना का काम करते समय अनेक चूनौतियो का सामना करना पड रहा है. विषम से विषम परिस्थिती को मात कर महा मेट्रो परियोजना को साकार करने की दिशा में अहम भूमिका निभाई है. सीताबर्डी स्थित इंटरचेंज स्टेशन एलीवेटेड होने के कारण यहां काम करना सबसे जटील माना जा रहा था . इस क्षेत्र के मुंजे चौक से झासी राणी चौक की ओर जाने वाले मार्ग पर बीच में पिलर बनाना कतई संभव नही था . यहां के चारो मार्ग अत्यंत व्यस्त होने के कारण काम करना चुनौतीपूर्ण है . इंटरचेंज स्टेशन का कार्य इंजिनियरों के सामने अनेक दिव्कतों से भरा हूआ था. स्टेशन की संरचना और निर्माण कार्य एक आव्हान बना हुआ था . इस स्टेशन पर दोनों कॉरीडोर का जंक्शन तैयार किया जा रहा है.

महा मेट्रो की ओर से वर्षो पुरानी पद्धती अपनाई गई. वर्ष 1895 में जिस पद्धती पर निर्माण कार्य किया जाता था उसी संकल्पना को अपनाकर व्हिरेंडीएल फ्रेम पद्धती से यहां कार्य किया जा रहा है . यह पद्धती इंटरचेंज जंक्शन को आकर्षक रूप प्रदान करेंगी. 40 मीटर लंबाई के स्पॅन के कार्य के साथ दोनों कॉरीडोर के ट्रेन का भार इस स्टेशन पर होगा .

Gold Rate
09 july 2025
Gold 24 KT 96,700 /-
Gold 22 KT 89,900 /-
Silver/Kg 1,08,200/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इंजीनिअर्स और आर्कीटेक के सामने इतना विशाल काम करना चुनौतीपूर्ण था . फ्रेम पद्धती अपना कर इस कार्य को किया जा रहा है. कॉन्क्रीट के माध्यम से इसकी रचना की गई है .कार्य अंतिम चरण पर शुरू है .व्हिरेंडीएल फ्रेम आयताकृत फ्रेम की शृंखला है .यह उपर और नीचे के भागों को स्थिरता प्रदान करती है. वर्ष 1895 में पहली बार इस संरचना को कार्यान्वित किया गया. बेलजियम के सार्वजनिक निर्माण मंत्रालय के संचालक के रूप में कार्यरत सिव्हील इंजिनियर ऑर्थर व्हिरेंडीएल के नाम पर व्हिरेंडीएल फ्रेम पहचानी जाती है .

चारों दिशाओं का यातायात यहां से होने के कारण अल्प अवधि के लिये भी यहां के ट्राफिक को रोकना या डायव्हर्ट करना संभव नही है . स्टेशन के दोनो कॉरीडोर के प्लेटफार्म एक के उपर एक होने से दो मंजिल पर है . इस क्षेत्र में सिनेमा हॉल, फूडमौल तथा समीप ही 2 बँक और व्यावसायिक संकुल है .यहां की परीस्थीती को देखते हुये सेंटर में पिल्लर बनाना संभव नही था. महा मेट्रो के अनुभवी और विशेषद्ध ने व्हिरेंडीएल फ्रेम पद्धती अपनाकर जहां काम को आकर्षक बनाने का कार्य किया वही दुसरी ओर नागरिकों के बिना तकलीफ के जटील कार्य को आसान कर दिखाया .

Advertisement
Advertisement