नागपुर: मराठा, मुस्लिम और धनगर समाज को आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने सरकार का पक्ष रखते हुए सभागृह को जानकारी दी कि सभी पक्षों को आरक्षण देने की संवैधानिक व्यवस्था की जानकारी है. इस मराठा आरक्षण मामले को उच्च न्यायालय ने स्थगती दी तो राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई. जहां भी राहत नहीं मिली तो पुनः सरकार उच्च न्यायालय गई.
न्यायालय ने सर्वप्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का निर्देश दिया. आयोग के मार्फत मराठा आरक्षण के लिए पेशकश करें. सरकार ने आयोग का गठन कर न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र पेश किया. फिलहाल मामला अदालत में है. आंदोलनकारी नेता व नेतृत्वकर्ता न्यायालयीन प्रक्रिया से वाकिफ है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य में ७२००० पदों की मेगा भर्ती है. जब मराठा आरक्षण मिल जाएगा उन्हें भर्ती में बैकलॉग समझ १६% आरक्षण दिया जाएगा. धनगर समाज के आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के लिए TISS की नियुक्ति कर ली है जिसकी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है जो जल्द ही सरकार को पेश की जाएंगी. फिर केंद्र सरकार को पेश कि जाएंगी.
मुस्लिम आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समुदाय के सभी विद्यार्थियों को ५०% शुल्क में सहूलियत दी जा रही है. यह भी संवैधानिक विषय है. समाज के साथ अन्याय नहीं होगा. अल्पसंख्यक विकास के लिए सरकार कटिबद्ध है. इस सरकार ने मुस्लिम खटिक समाज को आरक्षण दिया.
मुख्यमंत्री ने पंढरपुर यात्रा संबंध में एक विधायक के बयान का हवाला दिया जिसमें मराठा और धनगर आरक्षण नहीं घोषित करने पर २३ जुलाई को मराठा धनगर आरक्षण हेतु मुख्यमंत्री को पूजन नहीं करने देंगे कहा गया था. इस पर आजतक २ से ३ लाख वारकरी भाविक पंढरपुर दाखिल हो चुके हैं. बंद और पत्थर फेंक आंदोलन शुरू हो चुका हैं।
विधायक अबू आजमी ने कहा कि सरकार मुस्लिम विरोधी है, मराठा और धनगर समाज की तर्ज पर मुस्लिम आरक्षण पर पहल नहीं कर रही. देश में मुस्लिम समाज का योगदान नकारा नहीं जा सकता है.