Published On : Wed, Apr 24th, 2019

जिलाधिकारी ने की थैलेसिमिया-सिकलसेल मरीजों के लिए सराहनीय पहल

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विधिता चकोले बनी पहली दिव्यांग प्रमाणपत्र प्राप्तकर्ता

नागपुर: महाराष्ट्र में थैलेसिमिया-सिकलसेल के मरीजों को दिव्यांग प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया की शुरुआत विगत दिनों हुई.उक्त मरीजों को दिव्यांग को मिलने वाली सभी सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिए इस क्षेत्र में विख्यात चिकित्सक डॉक्टर विंकी रूघवानी की पहल पर वर्त्तमान जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने गंभीरता से लेते हुए थैलेसिमिया-सिकलसेल के हितार्थ सराहनीय कदम उठाये,नतीजा पिछले दिनों पहली थैलेसिमिया/सिकलसेल मरीज कुमारी विधिता चकोले को उनके ही हस्ते प्रमाणपत्र सौंपा गया.जिलाधिकारी की उक्त प्रयास की की शहर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विदर्भ के थैलेसिमिया-सिकलसेल मरीजों सह इस क्षेत्र में काम करने वालों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की.

यद् रहे कि केंद्र सरकार ने दिव्यांग व्यक्ति हक्क अधिनियम के अंतर्गत दिव्यांगता के विभिन्न प्रकार किये हैं.जिसमें रक्तदोष से आने वाले दिव्यांगता का भी समावेश किया गया हैं.तथा उन्हें शिक्षा में आरक्षण भी दिया गया हैं.

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लेकिन महाराष्ट्र में थैलेसिमिया-सिकलसेल जैसे रक्तदोषों से पीड़ित बच्चों को इन अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा था.जिसके लिए डॉक्टर रूघवानी ने जिलाधिकारी मुद्गल का इस ओर ध्यानाकर्षण करवाया।साथ ही मानसून सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से थैलेसिमिया-सिकलसेल मरीजों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने की मांग की.जिलाधिकारी मुद्गल के नियमित पहल पर सम्बंधित विभागों ने थैलेसिमिया-सिकलसेल मरीजों को लाभ देने सम्बन्धी सभी प्रक्रियाएं पूर्ण की.

डॉक्टर रूघवानी की पहल पर थैलेसिमिया-सिकलसेल के साथ कुल २१ रक्तदोषों से उत्पन्न होने वाली दिव्यांगता के लिए दिव्यांग प्रमाणपत्र देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया,इस प्रमाणपत्र के लिए मरीजों और उनके परिजनों को ऑनलाइन आवेदन करना होता हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि थैलेसिमिया-सिकलसेल अत्यंत गंभीर रोग हैं,इसमें मरीज को बारंबार रक्त चढ़ाना पड़ता हैं,मरीजों और उनके परिजनों को शारीरिक पीड़ा सहन करनी पड़ती हैं.दिव्यांगता सूची में इन्हे शामिल करने से इनको और इनके परिजनों को बड़ी राहत दिलवाने में डॉक्टर रूघवानी ने अहम् भूमिका निभाई हैं.

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