तलेगांव (शा.पंत) (वर्धा)। किसान पहले ही नैसर्गिक आपदाओं से परेशान है, ऊपर से कम्प्यूटरीकृत सात-बारह प्रमाणपत्र किसानों का सरदर्द बन गया है.राजस्व विभाग की ओर से कम्प्यूटरीकृत सात-बारह प्रमाणपत्र अभियान शुरू किया गया है. जिसमें आनलाइन सात-बारह प्रमाणपत्र निकाला जाता है. इसमें सिर्फ पुरानी जानकारी मिलती है और नई जानकारी अपडेट नहीं होती. जिससे किसानों पर कर्ज का बोझ मंडरा रहा है जबकि कम्प्यूटरीकृत सात-बारह प्रमाणपत्र में अधूरी जानकारी होने से किसानों को बैंकों से अधिक कर्ज नहीं मिल रहा है. इस वजह से किसानों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.
खरीफ फसल की बुआई के लिए किसान कर्ज लेकर जुताई का काम पूरा करते है. किसानों को कर्ज के लिए बैंक में आवश्यक कागज पत्र देने पड़ते है. लेकीन कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के चलते सात-बारह प्रमाणपत्र राजस्व विभाग से लिया जाता है. किसानों ने भी आनलाइन सात-बारह प्रमाणपत्र निकाले है. जहां सात-बारह प्रमाणपत्र में नई जानकारी अपडेट न होने से किसानों को बैंकों से कर्ज कर्ज नहीं मिल रहा. किसान पटवारी के पास सात-बारह प्रमाणपत्र लेने जाते है पटवारी उन्हें सेलु केंद्र से सात-बारह बनाने के लिए कहता है. इस वजह से किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सात-बारह की पुरानी जानकारी के चलते किसान कर्ज से वंचित है. किसान राजस्व विभाग से प्रतिवर्ष जानकरी अपडेट करने की मांग कर रहे है. कम्प्यूटरीकृत सात-बारह प्रमाणपत्र में कई कमियां है. जिससे किसान परेशान है.
