Published On : Thu, Dec 22nd, 2016

स्वाइप मशीन की जबरजस्त माँग लेकिन आपूर्ति ठप

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नागपुर: डिमोनिटाइजेशन के बाद देश की आतंरिक अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आ चुका है। सरकार की कैशलेस इकोनॉमी में शहरी जनता अपनी भूमिका भी अदा करने लगी है। 8 नवंबर के बाद से स्वाइप मशीन की बिक्री में 100 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है। हालात ये हैं कि खुद बैंक अब स्वाइप मशीनों की आपूर्ति करने में अक्षमता दर्शा रहे हैं। डिमोनिटाइजेशन के अचानक हुए इस फैसले की वजह से बैंको को कैशलेस व्यवस्था बनाने के लिए जरुरी संसाधनों के विस्तार का समय ही नहीं मिला। कैश की किल्लत की वजह से बाजार में स्वाइप का चलन अचानक बढ़ गया। व्यापार पर नोटबंदी की वजह से पड़ने वाले बुरे असर से बचने के लिए बड़े से लेकर छोटा दुकानदार स्वाइप मशीन का सहारा लेने लगा। जिनके पास पहले से स्वाइप मशीन थी उन पर तो असर नहीं पड़ा लेकिन जिनके पास यह व्यवस्था नहीं थी वो बैंको की तरफ दौड़े।
डिमोनिटाइजेशन के फैसले को डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त हो गया पर नागपुर में माँग के अनुरूप स्वाइप मशीन की उपलब्धता अब तक नहीं हो पायी है। आम तौर पर जहाँ बैंक आवेदन के एक हफ्ते के भीतर मशीन उपलब्ध करा देती थी अब इसमें महीनों से ज्यादा का वक्त लग रहा है। जिस वजह से जो व्यापार हो रहा है वह फ़िलहाल कैश पर ही आधारित दिख रहा है।

स्वाइप मशीन की कमी का इलाज बैंको के इ-पेमेंट एप
महाराष्ट्र बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर विजय काम्बले के मुताबिक बैंको में स्वाइप मशीन हासिल करने की होड़ सी लग गयी है। हालात ये हैं कि बैंक मशीन उपलब्ध ही नहीं करा पा रही है। हालांकि इसका तत्काल उपाय ढूंढते हुए लगभग सभी बैंको ने पेटीएम की ही तरह अपना एप तैयार किया है। बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र ने महा इ-पे एप तैयार किया है जिसके इस्तेमाल की तरीका जन जागरूकता अभियानों के जरिये ग्राहकों तक पहुँचाया जा रहा है। एप के क्यू आर कोड को स्कैन करने के बाद आसानी से पैसे ट्रान्सफर किये जा सकते हैं।

स्वाइप मशीनों की माँग के बेतहाशा वृद्धि
बैंको को स्वाइप मशीन उपलब्ध कराने वाली कंपनी पाइन कैब कंपनी के वेस्ट जोन के मैनेजर केयूर व्यास का कहना है कि इस फैसले के बाद स्वाइप मशीन की माँग बेतहाशा बढ़ गयी है। ऐसा कहा जा सकता है कि इसमें 100 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि देखी जा रही है। उनके मुताबिक अब हर छोटे से छोटा दुकानदार स्वाइप मशीन चाहता है लेकिन हम उपलब्ध नहीं करा पा रहे है। 8 नवंबर से पहले शहर में 10 हजार स्वाइप मशीन रही होगी लेकिन अब हर चौक में ऐसी मशीन दिखती है। पहले हम दुकानदारों को स्वाइप मशीन का फायदा समझते हुए इसके इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते तो वो मना कर देते अब खुद हो के हमारे पास डिमांड आ रही है। व्यास के अनुसार स्वाइप मशीन के इस्तेमाल को लेकर कुछ हद तक अब भी लोगो में संभ्रम की स्थिति है। सरकार ने कार्ड पेमेंट पर 31 दिसंबर तक किसी भी तरह के चार्ज को फ्री किया है। अब आगे क्या फैसला होता है इस पर स्वाइप मशीन की बिक्री काफी हद तक निर्भर होगी।

स्वाइप मशीन की भारी किल्लत
बैंक ऑफ़ इंडिया के मार्केटिंग ऑफिसर पुष्पल वारके के मुताबिक पहले स्वाइप मशीन का आवेदन मिलने के बाद दूसरे ही दिन वह इंस्टाल कर दी जाती थी लेकिन अब हालात ये हैं कि मशीनों की उपलब्धता ही नहीं है। सभी बैंक में इस्तेमाल होने वाली स्वाइप मशीन इम्पोर्ट होती है इसलिए माँग के अनुपात में मशीन उपलब्ध होने में और थोड़ा वक्त लगेगा। पर ग्राहकों को रियायत देने के लिए बैंक ऑफ़ इंडिया ने चिल्लर एप के साथ समझौता किया है जिसको ग्राहकों के बीच प्रमोट किया जा रहा है।