Published On : Tue, Jan 29th, 2019

सन 74 की ऐतिहासिक रेल हड़ताल के पहले हुआ था, नागपुर के रेलकर्मियों का राशन आंदोलन जिससे जॉर्ज हुए थे प्रभावित

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नागपुर: जॉर्ज फर्नांडिस की ऐतिहासिक रेल हड़ताल विश्व की सबसे बड़ी रेल हड़ताल मानी जाती है। सन 1974 में जॉर्ज के नेतृत्व में हुई हड़ताल ने न केवल देश में रेलगाड़ी की रफ़्तार में ब्रेक लगा दी थी बल्कि तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार को रेल कर्मचारियों की माँगे मानाने के लिए विवश होना पड़ा था। ऑल इंडिया रेल्वेमैन्स फेडरेशन के मातहत की गई यह हड़ताल भारतीय रेल के इतिहास की पहली और अब तक की अंतिम हड़ताल है। इस हड़ताल में देश भर के रेलकर्मचारीयों ने जॉर्ज के साथ काम किया। नागपुर के हरीश अड्यालकर ने लंबे समय तक जॉर्ज के साथ काम किया। वो जॉर्ज के करीबियों में शुमार थे। जॉर्ज से हरीश के परिचय होने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। दरअसल हरीश अड्यालकर जॉर्ज फर्नांडिस से पहले सन 1973 में नागपुर रेल्वे स्टेशन में 12 किलो राशन नाम से आंदोलन चला चुके थे जिसकी गूँज देश भर में सुनाई दी और खुद जॉर्ज इस आंदोलन से प्रभावित रहे। बाद में जॉर्ज ने हरीश से मुलाकात की और उन्हें आंदोलन से जोड़ा। 74 की ऐतिहासिक रेल हड़ताल का नेतृत्व नागपुर में हरीश अड्यालकर के कंधे पर था। आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें भूमिगत रहना पड़ा बाद में गिरफ़्तारी हुई 1 महीने जेल में रहे फिर सजा के तौर पर उन्हें रिमूव्ह फॉर सर्विस यानि नौकरी से निकाल दिया गया।

हरीश अड्यालकर देश के समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों पर चलते है उन्होंने नागपुर में ही लोहिया अध्ययन केंद्र भी खोला रखा है। जॉर्ज जो खुद समाजवादी आंदोलन से निकले है उन पर लोहिया के आदर्शो का प्रभाव रहा। जॉर्ज को याद करते हुए हरीश बताते है कि सन 74 में ही ऐतिहासिक रेल हड़ताल की तैयारी एक वर्ष पहले ही शुरू हो गई थी। जॉर्ज देश भर में घूमकर रेलकर्मियों को लामबंद कर रहे थे। मगर अब तक उनका जॉर्ज से कोई परिचय नहीं था। सन 73 में वो नागपुर में कार्यरत थे। एक दिन उन्हें ड्यूटी के दौरान खबर लगी की अजनी स्थित (CNW ) जहाँ रेल विभाग का तकनिकी काम होता है। कुछ रेलकर्मियों ने राशन की दुकान में मिलने वाले कम अनाज पर नाराजगी जाहिर करते हुए काम बंद कर दिया है। इस विभाग में काम करने वाले वासुदेव मोखाटे नामक कर्मचारी ने उन्हें यह जानकारी दी थी। वासुदेव ने हरीश को बताया कि CNW में काम करने वाले किसी एक कर्मचारी ने दोपहर के भोजन का टिफिन नहीं लाया है। जिसकी वजह उसके घर में अनाज का नहीं होना है। नागपुर में रेल कर्मचारियों के लिए राशन की दुकान अजनी कॉलोनी के भीतर थी लेकिन इस दुकान से महीने भर का जो राशन कर्मचारियों को दिया जाता था वह बेहद कम रहता है जिसकी वजह से राशन बाजार से ख़रीदने की नौबत हर महीने आती है।

हरीश ने इस मुद्दे को उठाने के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया। और उसी दिन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रेल कर्मचारियों के साथ हड़ताल का ऐलान कर दिया। हड़ताल की खबर पाकर स्टेशन के बगल में ही स्थित डीआरएम दफ्तर के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए। नागपुर स्टेशन पर आमला की तरफ से आने वाली और अजनी स्टेशन में मुंबई की तरफ से आने वाली गाड़ियों को रोक दिया गया। इस हड़ताल की वजह से रेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। हरीश और उनके कुछ साथियों को एसआरपी (सुप्रीडेन्डेन्ट रेल्वे पुलिस ) ने गिरफ्तार कर नागपुर स्टेशन के भीतर ही नजरबंद कर दिया। गिरफ़्तारी के बाद रेल कम्रचारियों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह आंदोलन करीब हफ्ते भर चला जिसके बाद प्रशासन ने आंदोलनकारियों के समक्ष झुकते हुए। हर रेल कर्मचारी को महीने में 12 किलो राशन उपलब्ध करा कर देने और उसकी व्यवस्था करने का ऐलान किया।

हरीश बताते है कि इस आंदोलन की खबर पाकर जॉर्ज प्रभावित हुए। जिसके बाद नागपुर दौरे पर आने के बाद दोनों की मुलाकात हुई। जॉर्ज ने साथ काम करने का निवेदन किया। इसके बाद ऐतिहासिक रेल हड़ताल हुई जिसमे मैंने भी हिस्सा लिया। जॉर्ज से उनका परिचय उनके बीमार होने तक जारी रहा। जॉर्ज के निधन पर अपनी भावुक प्रतिक्रिया देते हुए हरीश कहते है जॉर्ज सिर्फ एक ही हो सकता है और इस देश में सिर्फ एक ही रेल हड़ताल का इतिहास रहेगा। अब यह हिम्मत किसी में नहीं है की लाखो-लाख कर्मचारियों को कोई एक साथ जोड़ सके। जॉर्ज अपने भाषण से लोगों को आंदोलित करने की क्षमता रखते थे। जिस शैली में वो बात कहते थे उस पर कोई भी आकर्षित हो जाता था। हवा में बात करना जॉर्ज की फितरत में नहीं था वो ऐसे उदहारण और आकड़ो के साथ बात करते थे जिससे सत्ता को भी डर लगता था। उनके व्यक्तित्व का आकर्षण ऐसा था की सरकार के कर्मचारी भी उनसे मिलने के मोह से खुद को नहीं बचा पाते थे। इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में अगर कोई सरकारी कर्मचारी जॉर्ज से मिलने का जिज्ञासु रह सकता है तो इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति कितना प्रभावी होगा।