Published On : Tue, Dec 10th, 2019

वीडिओ: मिहान में इंडस्ट्रीज के नाम पर सरकार को मजे से लुटा जा रहा है : बी.सी भरतिया

नागपुर: मिहान में इंडस्ट्रीज को लेकर जिस तरह से घोषणाएं हुई थी। उस तरह से वहां विकास नहीं दिख नहीं रहा है। इसको लेकर सरकार गंभीरता से विचार करे। मिहान में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 हजार करोड़ रुपए दिए गए है। लेकिन इंडस्ट्रीज को आकर्षित करने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। केवल पैसा लगाने से काम नहीं बनेगा। एक इंडस्ट्रीज को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना और दूसरा इसके अधिकारी और उनके बच्चों की जीवनशैली के लिए हमारा शहर तैयार हुआ है क्या। ऐसी जगहों पर काम करनेवाले यूवा जो बड़े शहरो में काम कर रहे है. वह तब तक नहीं आएंगे जब तक हम अपने शहर को डेवेलप न करे। शहर का विकास न होने से इन इंडस्ट्रीज के अधिकारी और इसके बड़े लोग मुंबई और पुणे में अपनी इंडस्ट्रीज लेकर जाने का मन बनाते है। यह कहना है नई दिल्ली कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.सी.भरतिया का। वे ‘ मिहान ‘ के विकास को लेकर ‘ नागपुर टुडे ‘ से बातचीत कर रहे थे. भरतिया ने बताया की नागपुर शहर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शहर बनाना होगा , जिसमें सभी सुविधाएं मौजूद हो. तब जाकर इंडस्ट्रीज यहां आएगी।

Advertisement

मिहान में इंडस्ट्रीज कम और आईटी सेक्टर ज्यादा आने के सवाल पर उन्होंने कहा की यह आईटी सेक्टर क्या टैक्स का लाभ लेने आए है। हमारे यहां के युवा मुंबई, बैंगलोर, पुणे, गुडग़ांव, नॉएडा जा रहे है और वहां जाकर आईटी सेक्टर में ही काम कर रहे है। हमारे यहां के आईटी सेक्टर में दूसरे शहरों में जानेवाले युवाओ को प्रोत्साहन क्यों नहीं दिया जा रहा है। जो दिख रहा है उससे जमीनी हकीकत दूर है। मिहान में यह जो आईटी कंपनिया आयी है, वो केवल ऐसा तो नहीं की टैक्स का लाभ लेने के लिए यहां आये हो, या सस्ते में इन्हे जगह मिल रही है उसके लिए तो नहीं आए है। यह भी सोचना जरुरी है।

जो 1 हजार करोड़ मिहान में इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगाया है वह अगर बुटीबोरी की एमआईडीसी में लगाया होता। इस सवाल पर भरतिया ने कहा की नया लाने से अच्छा यह है की जो है उसको अच्छा कैसा बनाया जाए। यह सोचना चाहिए था। बुटीबोरी, हिंगना, मौदा में इंडस्ट्रियल एरिया को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेवेलोप क्यों नहीं किया जा रहा है। सरकार यह कर रही है कि शहर के पास जो किसानों की जमींन है वह इंडस्ट्रीज के नाम से उनकी जमींन पर कब्ज़ा किया जा रहा है। किसानों से जमींन लेकर वह भी प्रोजेक्ट बंद हो जाता है। कम से कम किसान वहां खेती तो करता था। केवल ब्रांडिंग और पब्लिसिटी की जा रही है। जो लाभ मिलना चाहिए था वह लाभ नहीं मिल पा रहा है। जो करदाताओ का पैसा है वह ऐसा ही खराब हो रहा है।

पतंजलि प्रोजेक्ट के लिए सस्ते में जमींन दी गई है इस पर भरतिया ने कहा की इंडस्ट्रीज के नाम पर सरकार को मजे से लुटा जा रहा है और सरकार भी अपने आपको लुटा रही है। सस्ते में जमींन देना, टैक्स का लाभ देना और यह सब देने के बाद उसकी मॉनिटरिंग क्या है , कितने समय में वह आना चाहिए, वह आया की नहीं आया, उससे लोकल रोजगार जनरेट हुआ क्या, भरतिया ने कहा की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उस बात का समर्थन करते है जिसमें उन्होंने कहा की 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाए। इस प्रकार की सोच कब आएगी। इतने कॉलेज होने के बावजूद भी यहां बच्चे तैयार नहीं हो रहे है। इसके लिए एजुकेशन व्यवस्था सुधारने की जरुरत है। हम केवल यहां चपरासी तैयार कर रहे है। किसानों से जमींन लेकर सस्ते में बाटना गलत है। सरकार भले ही मुफ्त में जमींन दे लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था में, टैक्स में, उसके बाद वहां प्रोडक्शन होना चाहिए, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना चाहिए। उसका माल बिकना चाहिए, टैक्स के रूप में सरकार को पैसा आना चाहिए। तभी विकास होगा। जब हम बाहर जाते है और इंडस्ट्रीज देखते है तब लगता है की यहां बाते ज्यादा है और जमीनी हकीकत कुछ और है।

केवल मिहान पर ही नहीं सरकार ने खनिज, टूरिस्म पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे की रोजगार बढे. आदिवासियों के लिए वन उपज से रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement