Published On : Wed, Sep 20th, 2017

अर्चना चौधरी को मिली राहत से राज्य सरकार को झटका

high court simbol

Representational Pic

नागपुर: जिला परिषद के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सावनेर विधानसभा अंतर्गत दहे गांव रंगारी के सरपंच के खिलाफ जांच करने और तुरंत एफआईआर दायर करने के लिए 8 अगस्त 2016 को आदेश जारी किए गए थे। आदेशों के अनुसार तीव्र गति से की गई कार्रवाई गलत हेतु से होने का हवाला देते हुए न्यायाधीश वासंती नाईक और न्यायाधीश एमजी गिरटकर ने सुनवाई पश्चात एफआईआर को रद्द कर दिया। अदालत के आदेशों से जहां एक ओर सावनेर तहसील स्थित दहेगांव रंगारी की सरपंच अर्चना चौधरी को राहत के साथ बड़ी जीत मिली, वहीं दूसरी ओर राजनैतिक दृष्टिकोण से की गई कार्रवाई को लेकर राज्य के मंत्रियों को करारा झटका लगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने स्टेट ऑफ हरियाणा विरुद्ध भजनलाल मामले का हवाला देते हुए चूंकि जांच कमिटी की रिपोर्ट में किसी तरह की धांधली का उल्लेख नहीं किया गया था. अतः गलत उद्देश्य से मामला दर्ज किए जाने का उल्लेख न्यायालय ने फैसले में किया।

उल्लेखनीय है कि सरपंच चौधरी ने एफआईआर रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता चौधरी की ओर से अधिवक्ता आनंद जायसवाल व अधिवक्ता प्रकाश तिवारी और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील आनंद देशपांडे ने पैरवी की। बता दें कि उक्त सरपंच के पति किशोर चौधरी ने राज्य सरकार के एक बड़े मंत्री और स्थानीय राजनीति में बड़ा नाम रखनेवाले राजनेता के खिलाफ पोलखोल आंदोलन छेड़ रखा है. इसी कारण दोनों में शह-मात का खेल जारी है। किशोर चौधरी ने किसानों के लिए भाजपा नेताओं के मंसूबे पर पानी फेरना चाहा तो उन्होंने आज तक चौधरी को दबाने का कोई कसर नहीं छोड़ा। वैसे चौधरी एनसीपी से जुड़े हैं लेकिन जिले के तथाकथित नेता मंत्री के समर्थक होने से चौधरी सर्वपक्षीय बनाम अकेले जंग लड़ रहे हैं।

उक्त न्यायालयीन निर्णय के बाद चौधरी परिवार को आगामी सरपंच व ग्रामपंचायत चुनाव के लिए सुनहरा अवसर भी प्राप्त हो जाने से उनके समर्थकों में काफी उत्साह हैं।

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