Published On : Thu, Sep 28th, 2017

मनपा को खस्ताहाल बनानेवाले जिम्मेदार आला अधिकारियों पर भड़के सभापति जाधव

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NMC’s Standing Committee presided by Chairman Sandeep Jadhav
नागपुर: जीएसटी का अनुदान नियमित आने तक मनपा के सत्ताधारियों ने जल व संपत्ति कर के बकायेदारों के लिए ‘अभय योजना’ लाई. जिसे प्रशासन के दिग्गज अधिकारियों से लेकर निम्न कर्मियों तक गंभीरता से नहीं लिए जाने से योजना असफल हो गई. इसके बाद भी मनपा प्रशासन नहीं जगा. गुरुवार को मनपा स्थाई समिति के सभापति संदीप जाधव ने प्रशासन के जिम्मेदार दिग्गज अधिकारियों की क्लास ली और उन्हें जमकर फटकार लगते हुए अगले एक माह में टार्गेट पूरा करने के निर्देश दिए. टार्गेट पूरा करने में असफल रहने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी.सभापति जाधव के उग्र रूप को देख सम्पूर्ण प्रशासन सकते में आ गया है.

मालूम हो कि नागपुर महानगरपालिका पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तौर पर काफी दयनीय अवस्था से गुज़र रही है. मनपा के मुख्य आय के स्त्रोत बढ़ाने में प्रशासन की अनिच्छा से मनपा की हालत काफी बद से बदत्तर हो गई है. चुंगी के बाद एलबीटी बंद होने के तुरंत बाद जीएसटी लागू होने से मनपा की स्थिति और ख़राब हो गई. ऐसे में मनपा सत्तापक्ष की पहल पर २० दिनों के लिए अभय योजना लाया गया. इसके लिए सभी सम्बंधित अधिकारियों को टार्गेट पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिसे प्रशासन की लापरवाह नित के कारण योजना ‘औंधे मुँह गिरी’ याने मनपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

जाधव ने आरोप लगाया कि इसके बाद असफलता के जिम्मेदार अधिकारियों सहित आयुक्त स्तर के अधिकारियों ने सादी सी समीक्षा बैठक नहीं की. और तो और बाद में वसूली धीमी कर दी. इसका नतीजा यह हुआ कि मनपा का विकासकार्य थम सा गया. नगरसेवकों के प्रस्ताव निधि के आभाव में मंजूर नहीं होने के कारण उनमें रोष उत्पन्न होने लगा और मनपा में सत्ताधारियों की बदनामी होने लगी.

जाधव ने आज आयुक्त के साथ सभी जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए कि अभय योजना का बकाया, नियमित राजस्व वसूली में तेजी लाकर शीघ्र टार्गेट पूरा कर एक माह के भीतर रिपोर्ट स्थाई समिति के समक्ष पेश करे. पेश की जाने वाली रिपोर्ट ज़ोन निहाय होनी चाहिए. इसके बाद भी मनपा प्रशासन सचेत नहीं हुआ तो एमएमसी एक्ट ७६(३) के तहत कार्रवाई की सिफारिश की जाएंगी.

जाधव ने स्थाई समिति की बैठक में उपस्थित अधिकारियों के मार्फ़त प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि बारंबार निधि के आभाव का रोना बंद कर दें बल्कि मनपा के आय के मुख्य स्त्रोत को बढ़ाने के लिए गंभीर हो जाएं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मनपा से ६०-७० हज़ार रूपए मासिक वेतन लेने वाले अधिकारी रोजाना राजस्व वसूली मामले में २-३ घंटा ज्यादा काम कर लेंगे तो क्या बिगड़ेगा. वहीं नगरसेवक वर्ग मामूली मानधन पर २४ घंटे जनसेवा में जुटे रहते हैं. साथ सभी अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि उनके टेबल पर पेंडिंग फाइल अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और न ही फाइलों में गड़बड़ी कर मनपा का राजस्व नुकसान बर्दास्श्त किया जाएगा.

जाधव के अनुसार सपत्ति कर के बकायेदारों में से ९०० बकायेदारों का हुकुमनामा जाहिर हो चुका हैं. संभवतः २५ अक्टूबर के बाद निलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. नगर रचना विभाग ने दिए गए टार्गेट का ३५% ही पूरा किया लेकिन सभापति जाधव को मार्च २०१८ तक ११० करोड़ का टार्गेट पूरा हो जाने का आश्वासन मिलने के बाद वे शांत हुए. इस विभाग की खामियां सार्वजानिक करते हुए उन्होंने जानकारी दी कि पेंडिंग प्रस्ताव या सुनवाई के प्रस्ताव के अलावा नियमित मंजूरी के भी ५०% पेंडिंग रखा जाना मनपा को आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाया जा रहा है.

शहर के घरों के गणना की जिम्मेदारी का ठेका साइबरटेक कंपनी को दिया गया है. इन्होंने फटकार के बाद रोजाना २५०० घरों का टार्गेट पूरा कर रहे हैं परन्तु मनपा जोनल कार्यालय के सम्बंधित अधिकारी सर्वे के बाद की प्रक्रिया पूरी कर के दायरे में लाने में काफी लापरवाही बरते जाने से समस्या बढ़ते जा रही है. साइबरटेक कंपनी ने अब तक ३ लाख १० हज़ार घरों का सर्वे किया है. इसमें से ५७००० नए घर प्रकाश में आए. साइबरटेक को प्रत्येक १५ दिनों में उनके सर्वे का रिपोर्ट समिति की बैठक में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं.