नागपुर: टीचर से मिलनेवाली यातनाओं से परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश करनेवाले सेंट जॉन स्कूल के दसवीं कक्षा के छात्र की घटना को पुलिस गंभीरता से लेती दिखाई नहीं दे रही है. दरअसल उम्मीद यही की जा रही थी कि घटना के सामने आते ही शिकायत दर्ज कर ली जाएगी, लेकिन जरीपटका पुलिस ऐसा करते दिखाई नहीं दे रही है.
आरटीई एक्शन कमेटी के अध्यक्ष मो. शाहिद शरीफ़ ने बताया कि चार दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामला दर्ज करने तैयार नहीं और न ही ऐसा करने का कारण ही स्पष्ट ही कर पा रही है. लिहाजा इस संबंध में उनकी ओर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति को सूचित किया जा चुका है अब उनके जबाव का इंतेजार है.
जब नागपुर टुडे ने आरोप लगनेवाले टीचर पराग तरोने से बात की तो उन्होंने छात्र और उसके पालकों द्वारा लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करते हुए बेबुनियाद बताया. जबकि छात्र के परिवार ने बताया कि बच्चे के साथ इस तरह का व्यवहार बीते साल भर से हो रहा था.
इस मसले पर शिक्षणाधिकारी एस एन पाटवे ने बताया कि घटना को लेकर स्कूल प्रबंधन को तत्काल मामले में लिप्त स्टाफ़ को हटाने के लिये कहा गया है लेकिन इस पर स्कूल प्रबंधन ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया. जबकि स्कूल के प्रिंसिपल फ़ादर पेट्रास ने कहा कि इस मामले की फिलहाल जांच की जा रही है और टीचर को सस्पेंड करने के लिए पंद्रह दिन की मोहलत मिली है.
जरीपटका पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक पराग पोटे ने बताया कि पीड़ित परिवार से कोई भी अब तक शिकायत दर्ज करने नहीं पहुँचा है. लेकिन घटना को लेकर जांच की जा रही है. आत्महत्या की कोशिश से बच कर निकलनेवाले पीड़ित छात्र और टीचर के बयान के आधार पर यह पता चलता है कि टीचर छात्र को टीसी देने की बात कहता था लेकिन सज़ा देने जैसी कोई बात बयान में साफ नहीं हुई. फिर मामला किस आधार पर दर्ज करते यह साफ नहीं हो पा रहा है.