नागपुर: शहर के व्यस्ततम क्षेत्रों — मानस चौक, बर्डी और सिविल लाइन्स — के बीच यातायात जाम से निजात दिलाने के लिए जीरो माइल पर प्रस्तावित अंडरपास निर्माण को लेकर अब एक नई प्रगति सामने आई है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में स्पष्ट किया कि वृक्ष प्राधिकरण की रिपोर्ट संतोषजनक पाई जाती है, तो अंडरपास निर्माण की अनुमति दी जा सकती है।
यह मुद्दा सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप दास द्वारा हाई कोर्ट को भेजे गए पत्र के बाद गंभीरता से उठाया गया था। उन्होंने इस परियोजना के तहत पेड़ों की भारी कटाई और उससे पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर आपत्ति जताई थी।
कोर्ट ने जताई सशर्त सहमति
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र अधिवक्ता महल्ले और मनपा की ओर से अधिवक्ता जैमीनी कासट ने पक्ष रखा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वृक्ष प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यदि रिपोर्ट सकारात्मक रही, तो अंडरपास निर्माण को हरी झंडी मिल सकती है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि पेड़ों की कटाई के बिना यदि कोई निर्माण गतिविधि शुरू की जा सकती है, तो उस पर कोई रोक नहीं है।
महामेट्रो ने दी स्थिति की जानकारी
महामेट्रो की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनके दायित्व अनुसार 1500 पेड़ लगाने थे, जबकि अब तक 1700 पेड़ लगाए जा चुके हैं। फिलहाल केवल उनकी जीओ-टैगिंग बाकी है। कोर्ट ने मनपा और वृक्ष प्राधिकरण को निर्देश दिए कि लगाए गए पेड़ों की जमीनी हकीकत की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
हेरिटेज पेड़ों पर चिंता
पिछली सुनवाई में मनपा ने कोर्ट को सूचित किया था कि पेड़ कटाई की अनुमति पर निर्णय लिया गया था, लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है। दास के अनुसार योजना के नाम पर अनावश्यक करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। मनपा की रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र में 8 से 40 वर्ष पुराने 104 सामान्य पेड़ और 52 से 214 वर्ष पुराने 11 विरासत (हेरिटेज) पेड़ हैं। जीरो माइल से इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस मार्ग तक, एयर स्क्वाड्रन एनसीसी कार्यालय से लेकर माहेश्वरी भवन तक दोनों ओर पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है।