– संदेहास्पद हैं मेजर भंडार की आडिट रिपोर्ट
नागपुर: कोराडी थर्मल पावर प्लांट में बेशकीमती ऊर्जा संपत्ति की चोरी और अफरातफरी की खबर से महानिर्मिती में हडकंप मचा हुआ है। करीबन 15 एकड़ जमीन पर फैले पावर प्लांट के मुख्य गोडाऊन एवं परिसर से अभी तक करोडों की बेशकीमती ऊर्जा संपत्ति की चोरी और स्मगलिंग हो चुकी हैं।उक्त जानकारी वर्त्तमान में कार्यकर्ता एक वरिष्ठ अभियंता ने नाम न छापने के शर्त पर बतलाया।
बताते हैं कि विगत सप्ताह 660×3 मेगावाट परियोजना के मुख्य अभियंता राजेश पाटील के मुंबई तबादला की तैयारी के समय याने 4 जुलाई की रात 11.30 बजे के करीब कुछ अज्ञात व्यक्ति सुरक्षा दीवार फांद कर ‘मुख्य मेजर स्टोर’ परिसर में प्रवेश करने का मामला प्रकाश में आया है।इसकी पुख्ता सबूत सुरक्षा गार्डों को सीसी टीवी में नजर आयी। तब सुरक्षा कर्मियों ने संदेह के अधार पर 3 व्यक्तियों को पकड़कर पुलिस थाने के हवाले किया था। तैनात सुरक्षा गार्डों की सतर्कता से चोरी की बड़ी वारदात टल गई अन्यथा चोरी बहुत बड़ी घटना घट सकती थी। इसके बाद अधिकारियों ने इसकी खूब वाही वाही लूटी गई।
पावर प्लांट के तकनीकी सुरक्षा विशेषज्ञों की माने तो इस परियोजना के चारों तरफ जगह-जगह सीसी टीवी कैमरा लगाए गए हैं। इसके अलावा यहां जरुरत से अधिक सुरक्षा-रक्षक तैनात है। सही मायने में उनकी ड्यूटी चोरी स्मगलिंग तथा अपराध को रोकना है। न कि वाह-वाही लूटना है ?
बताते हैं कि इस पावर प्लांट में चोरियां होती नही बल्कि एक सुनियोजित साजिश के तहत चोरी व स्मगलिंग करवाई जाती है। इतना ही नहीं यहाँ तैनात कुछ निजी सुरक्षा गार्डों की मिलीभगत से योजनाबद्ध तरीके से बहूमूल्य ऊर्जा संपत्ति की चोरी और स्मगलिंग करवाई जाती है। बताते हैं कि यहां पर स्थित ‘मुख्य मेजर भंडार’ में कितना और कौन-कौन से यंत्र-कलपुर्जे खरीदी की जानकारी भंडारण संभालने वाले और स्मगलिंग को अंजाम देने वाले को पता रहती हैं,इन्हीं की संयुक्त योजना के तहत वर्षों से अबतक करोड़ों का चुना लगाया जा रहा.
गोपनीय सूत्रों की माने तो हर साल वजट वर्ष जब 1अप्रैल से 31मार्च तक का हिसाब किताब का लेखा-जोखा का अवलोकन किया जाता है तब गायब हुए माल की औपचारिकता पूरी करने के लिए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा कर लीपापोती की जाती हैं ताकि संबंधित विभाग के तत्संबंधित अधिकारियों की नौकरी व साख बचाई जा सके ? मामला बड़ा ही पेचीदा और समझ से परे दिखाई देता है।
जानकार सूत्रों का तर्क है कि करोड़ों की चोरी मामले में इस पावर प्लांट का व्यवस्थापन और सुरक्षा प्रशासन अभी तक मौन हाथ पर हाथ धरे बैठा था परंतु मुख्य अभियंता राजेश पाटील का मुंबई ताबादला की भनक लगते ही यहां सुरक्षा गार्डों की सतर्कता से कथित चोरी और चोरों पर नियंत्रण कर लिया गया था परंतु तत्कालीन मुख्य अभियंता की कृपा और छत्र-छाया में इस पावर प्लांट से कितना माल गायब हुआ है। इस संदेहजनक मामले की यदि संपूर्ण जांच – पड़ताल करवाई गई तो वह दिन दूर नहीं जब यहाँ के बड़े – बड़े सफेदपोश चोरों से लेकर कई अभियंता और अधिकारियों की चल व अचल संपत्ति जप्ति के साथ उन्हें घर भी बिठाने की नौबत आ सकती हैं.
महानिर्मिती में सुरक्षा की भर्तियां बंद
महानिर्मिती के एक घाघ अधिकारी के अनुसार विगत 20–25 सालों में महानिर्मिती में सेवानिवृत्ति हुए सुरक्षा गार्डों के हज़ारों पद रिक्त पड़े है। इस समस्या खापरखेडा,चंद्रपुर,पारस,परली, भुशावल और नाविक पावर प्लांट जूझ रही हैं। क्योंकि महानिर्मिती में जब तक अति-प्रशिक्षण प्राप्त सुरक्षा गार्डों को भर्तियां नहीं की जाती है। तब तक समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। अन्यथा पावर प्लांटों में संभावित चोरियां पर पूर्णतः प्रतिबंध लग नहीं लगाया जा सकता है ?
बताते हैं कि ठेका पद्धति के बहुत से निजी सुरक्षा पूर्व सैनिक य पूर्व पुलिस सिपाही नहीं होना एक बड़ी चुनौती है। जब तक सेवानिवृत्त सैनिकों को भर्ती नहीं किया जाता तब प्लांट में चोरियां और स्मगलिंग होती ही रहेगी ?
उल्लेखनीय यह हैं कि समय रहते मांग के अनुरूप तज्ञ सुरक्षा रक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाती तब तक गंदी राजनीति के चलते विदर्भ की बिजली परियोजनाएं चोरों और स्मगलिंग की गिरफ्त में आते ही रहेगी।

