Published On : Thu, Jun 27th, 2019

स्मार्ट सिटी का बेरोजगार ‘पीआरओ’ उधार लेंगी मनपा

पहले कहती हैं एनएमसी और स्मार्ट सिटी अलद-अलग फिर उक्त उधारी.. अंधेर नगरी चौपट राजा

नागपुर : एक तरफ मनपा प्रशासन का दावा हैं कि स्मार्ट सिटी कंपनी से उनका कोई ताल्लुक नहीं,इसलिए वे उनके कार्यप्रणाली में दखल नहीं देते। तो दूसरी ओर मनपा प्रशासन अपने रिक्त पदों पर भर्तियां करने के बजाय स्मार्ट सिटी कंपनी से उधार में कर्मी लेने के लिए सभी नियम कानून को दाव पर लगा रहा। क्या मनपा में खाकी- खादी इतने असक्षम हैं कि ‘ अंधेर नगरी चौपट राजा’ की तर्ज पर संचलन किया जा रहा। प्रशासन अपने अधिकार का इस्तेमाल कर मनपा जनसंपर्क पद को तत्काल भरने के लिए स्मार्ट सिटी केे खाली पीली जनसंपर्क अधिकारी की नियुक्ति आमादा नज़र आ रहा,पदाधिकारियों की चुप्पी भी समझ से परे हैं।

Gold Rate
13 Sept 2025
Gold 24 KT ₹ 1,09,800 /-
Gold 22 KT ₹ 1,02,100 /-
Silver/Kg ₹ 1,29,000/-
Platinum ₹ 48,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

याद रहे कि स्मार्ट सिटी के सीईओ रामनाथ सोनावणे सहित अन्य सभी तैनात अधिकारियों का मनपा से स्मार्ट सिटी में मूल वेतन से दोगुने तिगुने वेतन पर नियुक्ति से सत्तापक्ष अस्वस्थ हो गया था। उक्त मामले में महापौर नंदा जिचकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस वजह से सत्तापक्ष के वरिष्ठ नगरसेवकों और महापौर के मध्य तनातनी भी हुई थी,इस दौरान यह भी तर्क दिया गया था कि जब मनपा के अधीन स्मार्ट सिटी प्रकल्प है तो इसके सीईओ का वेतन मनपा आयुक्त के ढाई गुणा कैसे?

उक्त मामला पिछले वर्ष मनपा की आमसभा में सत्तापक्ष द्वारा ही उठाया गया था,जाँच के निर्देश दिए गए थे.इसके तुरंत बाद महापौर ने नगर विकास विभाग के सम्बंधित प्रमुख अधिकारी से इस सम्बन्ध में चर्चा की तो सम्बंधित अधिकारी ने जवाब दिया था कि स्मार्ट सिटी प्रकल्प एक अलग कंपनी हैं,मनपा से इसका कोई लेना-देना नहीं।मनपा हद्द में काम कर रही इसलिए कार्यालय मनपा मुख्यालय में हैं.उक्त जवाब सुन जाँच के आदेश देने के बावजूद महापौर ने उक्त अधिकारी के तर्क पर कायम रह कर मामला दबा दिया।

दबाव इतना तगड़ा था कि आमसभा में प्रश्नकर्ता ने दोबारा न सवाल खड़े करने और न ही जाँच रिपोर्ट को सभागृह में पेश करने की हिमाकत की.

जमीनी हकीकत से कोसों दूर ‘स्मार्ट सिटी प्रकल्प’

कागजों तक ख्याली पुलाव परोस कर केंद्र व राज्य की वाहवाही लूटने वाली नागपुर की ‘स्मार्ट सिटी प्रकल्प’ का जमीन पर कुछ काम शुरू नहीं हुआ हैं और जिसके गाजे बाजे कर रही वह हकीकत में आधा-अधूरा ( एलएनटी का काम खासकर ) हैं.

जबकि स्मार्ट सिटी कंपनी के मुखिया सीईओ की नियुक्ति बिना साक्षात्कार के सिफारिश आधार पर हुई.इसी सीईओ ने मनपा के अधिकारियों को मोटी वेतन श्रेणी में स्मार्ट सिटी में समाहित किया। इसके अलावा दर्जनों पदों पर कॉर्पोरेट वेतनश्रेणी के तहत स्मार्टसिटी में नियुक्तियां करवाई।

इसी क्रम में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के आधार पर ‘पीआरओ’ की नियुक्ति की.जो आजतक प्रकल्प में बेरोजगार हैं.अर्थात स्मार्ट सिटी प्रशासन स्मार्ट सिटी निधि का दुरूपयोग सिर्फ नियुक्तियां कर कर रही.

दूसरी ओर वर्षों से मनपा के पास खुद का ‘पीआरओ’ नहीं था.पिछले माह सेवानिवृत हुए सहायक शिक्षक ने इस पद पर अपने जुगाड़ से शोभा बढ़ाते रहे.अब जबकि पद पुनः रिक्त हो गया,नए प्रभारी ‘पीआरओ’ की तलाश में इच्छुक भीड़ गए.इस क्रम में एलबीटी विभाग में एक कर्मी मिला जो ‘पीआरओ’ के लायक दिखा।

इसी बीच मनपा प्रशासन ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से स्मार्ट सिटी के बेरोजगार ‘पीआरओ’ को प्रभारी ‘पीआरओ’ बनाने के लिए आतुर दिखें।इस सन्दर्भ में महापौर के जानकारी में उक्त मामला लाया गया तो उन्होंने भी मसला आयुक्त के अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर अपना पल्ला झड़क लिया।
इस मसले पर मनपा ‘पीआरओ’ विभाग अस्वस्थ्य नज़र आ रही,क्यूंकि उनके अधिकार क्षेत्र व स्वतंत्रता पर अंकुश लगने के आसार नज़र आ रहे.

Advertisement
Advertisement