Published On : Sat, Apr 8th, 2017

स्मार्ट सिटी एक्सेसिबिलिटी और एफोर्डेबिलिटी के बिना नामुमकिन : मुख्यमंत्री

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CM Fadnavis in Smart City Summit
नागपुर:
स्मार्ट सिटी एक्सेसिबिलिटी और एफोर्डेबिलिटी के बिना स्मार्ट सिटी की संकल्पना मुमकिन नहीं है। जो कर (टैक्स)
अदा करता है उस पर ही अतिरिक्त बोझ आता है, न भरनेवाले व प्रत्येक के लिए कोई ठोस फार्मूला नहीं है। इससे निपटने का एकमात्र तरीका है, वह है स्मार्ट सिटी को साकार करना। क्योंकि सिर्फ स्मार्ट सिटी में ही ‘अकॉउंटेबिलिटी'(जिम्मेदारी) का प्रावधान है. अकॉउंटेबिलिटी की वजह से शहर के तमाम रहवासियों की सक्रियता बढ़ेगी। रहवासियों की जागरूकता से शहर दिनों-दिन स्मार्ट से स्मार्टर सिटी की ओर अग्रसर होगा। यह विचार राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त व्यक्त किए। वे वर्धा रोड स्थित होटल ली मेरेडियन में मनपा द्वारा आयोजित स्मार्ट सिटी एंड सस्टेनेबल सिटी समिट के अंतिम सत्र में में उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि देश में शहरीकरण दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। महारष्ट्र, केरल व तमिलनाडू में ५०% से भी अधिक शहरीकरण हो चुका है। स्मार्ट सिटी का अर्थ केवल कंक्रीट का जंगल ही नहीं होता बल्कि स्मार्ट सिटी की वजह से ‘इफिशिएंसी'(दक्षता) व ‘ट्रांसपरेंसी'(पारदर्शिता) भी बढ़ेगी। एक या चुनिंदा लोगों द्वारा बनाई जानेवाली योजना या पहल को सब स्विकार करेंगे ऐसा जरूरी भी नहीं। स्मार्ट सिटी के नियोजन के लिए सभी के योगदान से सुरक्षित सिटी साकार होगी। स्मार्ट सिटी के तहत ‘ट्रैफिक मैनेजमेंट’ एक अहम् भूमिका निभाएगा। ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान मोबाइल पर आएगा और जुर्माना भी मोबाईल से भी भरना होगा। स्मार्ट सिटी में ‘इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’(सूचना तकनीक) का महत्व काफी है। मेट्रो जैसे प्रकल्प से पर्यावरण को पहुंचनेवाले नुकसान से बचने में मदद मिलेगी। स्मार्ट सिटी से रोजगार का ईजाद होना व बढ़ना लाजमी है।

मुख्यमंत्री ने एक उदहारण देते हुए कहा कि हम सड़कें कितने भी अच्छी-चौड़ी क्यों ना बना लें, फिर भी हमसे तेज कार निर्माता दौड़ रहे हैं। वे आए दिन नए-नए मॉडल बाजार में उतार रहे हैं। इससे सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है। इससे बचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है। ऐसे में अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट शहर की भीड़ के अनुरूप सक्षम हो गया तो सड़कों पर भीड़ भी कम हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘टेक्नोलॉजी’ हमेशा से ‘न्यूट्रल’ ही रही है। टेक्नोलॉजी के ‘न्यूट्रल’ रहने पर ताक़त मिलती है और तरक्की का मार्ग प्रसस्त होता है।