Published On : Sat, May 16th, 2015

सिंदेवाही : “दी बुद्धिस्ट कर्मचारी संघ” की ओर से प्रबोधनात्मक संपन्न

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सिंदेवाही (चंद्रपुर)।
इक्कीसवी सदी में एक हाथ में विज्ञान की तथा दूसरे हाथ में क्रांति की मशाल लेकर चलने का यह युग है. इस युग में बहुजन को जीवन जीना आ रहा है. फिर भी “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” संकल्पना साकार नही हुई. इस युग में बहुजनों के समीप अनेक आवाहन खड़े है. आने वाली पीढ़ी को इन आवाहन का कैसे सामना करना है? इस समस्या पर विचारमंथन करने और बच्चों को धम्म ज्ञान मिले, इस विचारों को सामने रखकर “दि बुद्धिस्ट कर्मचारी संघ सिंदेवाही” की ओर से बौद्धिक कलात्मक तथा प्रबोधनात्मक कार्यक्रम आयोजित किया गया.

उक्त कार्यक्रम की शुरुवात प्रा. जे.टी.मेश्राम, विश्वाश विहिरे, तथा झाडीपट्टी के प्रसिद्ध नाट्य कलावंत प्रा. चंद्रशेखर डोंगरे और मुकेश गेडाम के हांथों करके सामूहिक बुद्ध वंदना ली गई. प्रस्तुत कार्यक्रम दो सत्र में लिया गया. पहले सत्र में 6 से 13 उम्र और 14 उम्र के लड़के-लड़कियों का गीतगायन, बुद्ध-फुले-सावित्री, डा. आंबेडकर, रमाई के चरित्र और विचार कार्य पर भाषण, एकपात्र तथा बुद्ध-भिम गीतों पर नृत्य स्पर्धा ली गई. सभी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत किया.

इन विविध स्पर्धा में ग्रीष्मा भीमराव रामटेके, प्राची दीपक मोटघरे, सलोनी सोपान चहांदे, आंचल परमेश्वर गेडाम, आभा राजकुमार अलोने, श्रेया चंद्रमनी घोनमोडे आदि कलाकारों ने प्रथम और द्वितीय बक्शीश जीता. कार्यक्रम का प्रास्ताविक प्रा. प्रेमकुमार खोब्रागड़े तथा संचालन दिपक मोटघरे के किया.

कार्यक्रम का पहला सत्र ख़त्म होते ही तुरंत दूसरे सत्र की शुरुवात करके “आज के उदयोन्मुख पीढ़ी के सर्वांगिक भवितव्य स्थिति, आवाहन और बुद्धिजिवी वर्गा की भूमिका” इस विषय पर कार्यक्रम लिया गया. इस दौरान उक्त विषय पर प्रा. डा. युवराज मेश्राम, विश्वास विहिरे तथा प्रा. चंद्रमनी घोनमोडे ने अपने विचार प्रस्तुत किये. इस कार्यक्रम का प्रास्ताविक प्रा. जे.टी.मेश्राम ने संचालन प्रा. प्रेमकुमार खोब्रागड़े और आभार प्रदर्शन प्रा. प्रताप नगराले ने किया.

उक्त कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बच्चे, युवा तथा नागरिकों ने उपस्थित रहकर कार्यक्रम को सफल बनाया.

Koradi wa re bhima program

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