Published On : Wed, Dec 4th, 2019

फुटपाथ दुकानदारों का मोर्चा निकला, महापौर को निवेदन सौंपा

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न्यायालय में मनपा ने गलत हलफनामा दायर की,फुटपाथ दुकानदारों का चुनाव स्थगित करने की मांग,महापौर जोशी ने संबंधित अधिकारियों की अहम बैठक बुलाकर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया

नागपुर: नागपुर जिला पथ विक्रेता संग के नेतृत्व में आज मोर्चा निकाला गया,इस दौरान महापौर संदीप जोशी को निवेदन सौंप फुटपाथ दुकानदारों का चुनाव स्थगित करने की मांग की गई। महापौर जोशी ने संबंधित अधिकारियों की अहम बैठक बुलाकर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया ,उन्होंने कहा यह भी कहा कि उक्त विषय संदर्भ में सूक्ष्म जानकारी पर चर्चा होंगी।

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आंदोलन के नेतृत्वकर्ता जम्मू आनंद के अनुसार सीताबर्डी के फुटपाथ दुकानदारों से संबंधित एक याचिका में मनपा द्वारा दायर किया गया 16 जुलाई 2029 के हलफनामा झूठा, अंतर्विरोध से भरा व पथ विक्रेता अधिनियम 2014 का उल्लंघन हैं। हलफनामा मनपा के द्वारा उच्च न्यायालय में जिस दिन दायर किया गया,उसी दिन न्यायालय ने आदेश दिया कि फुटपाथ दुकानदारों पर अन्याय करने जैसा हैं। जिससे दुकानदारों में बड़े पैमाने पर भय व चिंता की लहर छा गई हैं।

न्यायालय ने वर्ष 2017 में एक आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया था कि ऐसे शहर जहां 1 मई 2014 के बाद शहर विक्रय समिति का गठन किया गया था और जिसके मातहत फुटपाथ दुकानदारों का उस सर्वेक्षण को कानून की धारा 3(1) के तहत किया गया सर्वेक्षण माना जाए। आनंद ने कहा कि मनपा द्वारा जो हलफनामा दायर किया उसमें कहा गया कि पहला सर्वे 8 दिसंबर 2014 को सम्पन्न हुआ और उसी हलफनामा में मनपा ने यह भी कहा कि वह बचे हुए 27500 फुटपाथ दुकानदारों का पंजीयन करेंगे। लेकिन सिर्फ 3200 दुकानदारों की सूची मनपा के चुनाव अधिकारी को सौंपा गया। अगर 33700 फुटपाथ दुकानदार सर्वेक्षण में शामिल हुए तो फिर इतने कम दुकानदारों की सूची कैसे बनी ?

अर्थात उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया गया। मनपा ने यह भी दावा किया कि 5 अगस्त 2019 को फुटपाथ दुकानदारों की अस्थाई मतदाता सूची प्रकाशित की गई। और 21 अगस्त 2019 तक इस सूची पर आक्षेप एवं सुझाव भी मंगवाए गए। इसके बाद 10 सितंबर 2019 को अंतिम मतदाता सूची जाहिर की गई। इस पूरी प्रक्रिया में फुटपाथ दुकानदारों को विश्वास में नहीं लिया गया। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में 1 मई 2014 के बाद सर्वेक्षण में पाए गए 33702 दुकानदारों का नाम वोटर लिस्ट से गायब हैं।

आनंद के अनुसार मनपा ने अपने हलफनामा में कहा कि 21 जुलाई 2017,14 फरवरी 2018,30 जून 2018 को नगर विक्रय समिति की बैठक ली और पथ विक्रेता अधिनियम 2014 को लागू करने के बारे में निर्णय लिया गया। जबकि उक्त तीनों बैठकों में लिया गया निर्णय गैरकानूनी थे। नगर विक्रय समिति में कुल 20 सदस्य का चयन करना हैं, जिनमें 5 शासकीय पदसिद्ध अधिकारी होंगे,7 विभिन्न मंडलों के चयनित सदस्य होंगे,8 फुटपाथ दुकानदारों के प्रतिनिधि होंगे। इन तमाम सदस्यों की नियुक्ति और चयन करने की तरीका अलग अलग हैं। 5 शासकीय पदसिद्ध अधिकारियों की नियुक्ति मनपा आयुक्त करेंगे,विभिन्न मंडलों के सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार के मार्फत होंगी। फुटपाथ दुकानदारों का प्रतिनिधि दुकानदार वर्ग चुनेंगे। वे ही इस प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे जिनके पास दुकानदार व्यवसाय का प्रमाणपत्र हो। इसलिए सभी पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण करना अनिवार्य हैं। संघ की ओर से यह सुझाव दिया कि मनपा की विधि समिति के साथ संघ की संयुक्त बैठक किया जाए। और पथ विक्रेता अधिनियम 2014 को तरीके से शहर में कैसे लागू किया जाए,इस संदर्भ में एक रिपोर्ट तैयार किया जाए।

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