हैदराबाद में जीते 3 गोल्ड, 1 सिलव्हर
यवतमाल। भारत की स्टार योगा खिलाड़ी जिसे रबर की गुड़ीया के नाम से परिचित कुमारी श्रद्धा राजू मुंधडा ने 39 वीं राष्ट्रीय योगा चैम्पियनशिप में राज्य के प्रतिनिधित्व करते हुए 3 गोल्ड और 1 सिल्व्हर मेडल जीतकर शान बढ़ाई है. महाराष्ट्र को सेकंड रनर अप की ट्रॉफि भी उसी के कारण मिली है. 26 से 29 दिसंबर तक हैदराबाद (तेलंगणा) में विजया भास्कर रेड्डी इनडिओर स्टेडियम के विशाल प्रांगण में उसने यह करिश्मा करके दिखाया है. भारत के सभी राज्यों से 1150 महिला एवं पुरुषा खिलाडिय़ों ने इसमें हिस्सा लिया था. 17 से 25 वर्ष की उम्र गुट में महाराष्ट्र को सर्वाधिक मेडल श्रद्धा ने दिलाए. जिसमें 27 दिसंबर को हुए आवश्यक आसनों में श्रद्धा ने सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सर्वाधिक 187 अंक हासिल कर पहला गोल्ड मेडल प्राप्त किया. 28 दिसंबर को उसकी योगा सहयोगी चिपलून निवासी कुमारी गायत्री वारे के साथ मिलकर रिदमिक पेयर (डबल) योगासन और आर्टीस्टीक पेयर योगासन में अच्छा प्रदर्शन कर 1 गोल्ड और 1 सिल्व्हर मेडल जीत लिया. 3 रें दिन 29 दिसंबर को रिदमिक सिंगल में सर्वोच्च प्रदर्शन कर फिर से गोल्ड मेडल जीत लिया. इस स्पर्धा में पश्चिम बंगाल की खिलाड़ी को उसने पराजीत किया. वह द्वितीय स्थान पर रहीं.
5 वीं एशियन योगा चैम्पियनशिप दुबई में जाएंगी
राष्ट्रीय योगा चैम्पियन बनने से श्रद्धा राजू मुंधडा का चयन 5 वीं एशियन योगा चैम्पियन के लिए हों चुका है. यह स्पर्धा आगामी दिनों में दुबई में होनेवाली है. यह महाराष्ट्र के लिए गौरवान्वित करनेवाली बात है. श्रद्धा ने उंची उड़ान भरते हुए यवतमाल का ही नहीं तो राज्य और देश का नाम इससे पहले उसने 4 थें एशियन योगासन चैम्पियनशिप सिऑल (द.कोरिया) में हुई स्पर्धा में 1 गोल्ड और 2 सिल्व्हर मेडल जीता था. वह 23 नवंबर को वहां से यवतमाल पहुंची थी. तब उसका बड़े जोर-शोर से स्वागत हुआ था. इतना ही नहीं तो शहर के विभिन्न संगठनों ने उसका सत्कार भी किया.
कब योगा को शामिल किया जाएंगा पुरस्कारों की सूची में?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून को योगा दिवस के रूप में घोषित कर दिया. मगर योगा के खिलाडिय़ों की हालत बद से बदतर है. क्योंकि योगा को जिला, राज्य या राष्ट्र कोई भी खेल की सूची में अबतक शामिल नहीं किया गया है. इसलिए इन लोगों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने के बावजूद एक भी पुरस्कार नहीं मिलता है. उनके सभी प्रस्ताव एक तो लौटा दिए जाते है. अन्यथा उन्हें कचरे के डिब्बे में ड़ाल दिया जाता है. श्रद्धा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल ले चुकी है. फिर भी उसे राष्ट्रस्तर का तो दूर मगर जिलास्तर का भी पुरस्कार नहीं मिल पाया है. जबकि आट्या-पाट्या जैसे खेलों के लिए छत्रपति खेल पुरस्कार दिया जाता है. मगर योगा के खिलाडिय़ों को यह पुरस्कार भी नहींं मिलता है तो राजीवरत्न खेल पुरस्कार तो दूर की बात है. इसलिए इस खेल को राष्ट्रीयस्तर तक की सूची में शामिल करने की मांग भी श्रद्धा मुंधडा ने की है.