नागपुर: शालार्थ आईडी फर्जीवाड़ा मामले में जहां साइबर पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सक्रिय है, वहीं साक्ष्यों की कमी और कानूनी प्रक्रियाओं के चलते कुछ आरोपियों को जमानत मिलती जा रही है। इसी क्रम में पुलिस को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मुख्य आरोपी माने जा रहे निलंबित पीएफ अधीक्षक नीलेश वाघमारे के करीबी सागर भगोले को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
सागर भगोले, जो मानेवाडा के बालाजी नगर का निवासी है, ने जिला न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार वर्ष 2020 में वाघमारे के मौखिक आदेश पर उसे पीएफ कार्यालय के वेतन वेरिफिकेशन सेक्शन में प्रतिनियुक्त किया गया था। वहां उसने नागपुर जिले के निजी एवं आंशिक सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की मासिक वेतन पर्चियां तैयार की थीं। चौंकाने वाली बात यह रही कि इन पर्चियों को बिना वैध सत्यापन के ही कोषागार में ऑनलाइन भेज दिया गया।
आवेदक की दलीलें:
सुनवाई के दौरान सागर की ओर से कहा गया कि:
उसका नाम एफआईआर में नहीं है।
इस अपराध में उसकी कोई भूमिका नहीं रही है।
पूरा मामला दस्तावेजी साक्ष्यों पर आधारित है, जो पहले से ही पुलिस के पास हैं।
उससे कोई आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई है।
उसका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह जमानत की सभी शर्तों का पालन करेगा।
पुलिस का पक्ष:
जांच अधिकारी ने हलफनामे में बताया कि:
मामला गंभीर है और अभी विस्तृत जांच बाकी है।
दस्तावेजों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं उजागर की हैं।
आरोपी को फर्जी आईडी के निर्माण और वेतन वितरण में गड़बड़ी की जानकारी थी।
वह साजिश में शामिल था और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कार्रवाई को अंजाम दिया।
2010 से लेकर अब तक फर्जी शिक्षकों को कितना वेतन गया है, इसकी जांच चल रही है।
कोर्ट का फैसला:
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी सागर भगोले को भारत नहीं छोड़ने और अन्य शर्तों के पालन की शर्त पर जमानत देने का आदेश दिया।
इस फैसले को साइबर पुलिस के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि सागर को कथित मास्टरमाइंड वाघमारे का नजदीकी माना जाता है। अब देखना होगा कि इस बहुचर्चित फर्जीवाड़ा मामले में आगे जांच किस दिशा में बढ़ती है।