Published On : Sun, Aug 12th, 2018

कोई भी जनसंपर्क प्रमुख हो,सेना की स्थिति रहेगी जस की तस

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नागपुर जिले में शिवसेना मृतप्राय हो चुकी है. जिले के टप्पे-टप्पे में इसलिए जिंदा दिख रही है क्यूंकि वे शिवसैनिक खुद के बल पर पदाधिकारी बने. शेष लोग तो सेना की लुटिया डुबोने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे. ऐसे में अब उम्मीदें सेना के सूबे में संपर्क प्रमुख को लेकर बाँधी जा रही हैं कि संपर्क प्रमुख ऐसा हो जो यहां हफ़्ते में तीन से चार दिन गुज़ारे. इसी के ज़रिये यहां सेना मज़बूत हो पाएगी.

याद रहे कि वर्षों पूर्व जब शिवसेना ने राज्य सभा सदस्य व हिंदी सामना के संपादक संजय निरुपम को नागपुर जिले का संपर्क प्रमुख बनाकर नागपुर भेजा था, तब भी सेना जिले में जिलापरिषद, नगरसेवक पद तक पहुँच रही थी. निरुपम ने शहर-जिले में समय बिता कर सेना को जिले में निर्णायक भूमिका में ला दिया था. उस समय सिर्फ पदाधिकारी ही ६० से ६५ तक पहुँच गए थे, जिन्होंने स्थानीय स्वराज संस्था से एमएलसी चुनाव में भाजपा की हर सिरे से पसीने बहाने पर मजबूर कर दिया था. जिले से सांसद, मंत्री सह विधायक तक बने, तब शिवसेना मिनटों में नागपुर जिले जैसे मामलों में निर्णय लेती थी. एक हादसा याद आता है, देशपांडे सभागृह में निरुपम के खिलाफ किशोर व बरडे ने अपने कार्यकर्ताओं के संग हमला सा कर दिया ओछा तब निरुपम ने सीधे उद्धव ठाकरे से संपर्क कर न सिर्फ उन्हें पदमुक्त किया बल्कि पक्ष से बाहर का रास्ता भी दिखाया. प्रवीण बरडे को सेना ने नासुप्र का विश्वस्त तक बनाया था.उसके बदले तत्काल सेना के नगरसेवक किशोर कुमेरिया को शहर प्रमुख नियुक्त करने का निर्देश भी दिया था. तब सेना के नाम अवैध कृत करने वाले लेस मात्र ही थे. सेना को आंदोलन के जरिया मांग मनवाने के लिए जाना जाता था, तब पुलिसिया मामलों में सेना साथ भी देती थी

जब से निरुपम ने सेना छोड़ा शिवसैनिक लावारिस, असंगठित, अवैध कृत करने में अग्रणी हो गए. न पूर्ण कालीन संपर्क प्रमुख मिला, न सक्षम जिला व शहर प्रमुख मिला। आज जो भी सेना के नाम पर पदाधिकारी ( चुन कर आने वाले ) सभी खुद के बल पर है. पक्ष के तथाकथित पदाधिकारी तो अपने-अपने उद्देश्यपूर्ति में लीन हैं. आज की हालात में न शहर और न जिला प्रमुख सक्षम है. जिले के रहवासी को शहर की जिम्मा देना भी शहर के शिवसैनिकों को खल रहा है लेकिन सुनवाई नहीं.

इसलिए शहर और ग्रामीण के शिवसैनिकों की क्षमता देख नए सिरे से उनके क्षमता अनुसार जिम्मेदारियां देने की मांग जिले के कट्टर शिवसैनिकों ने नवनियुक्त जिला संपर्क प्रमुख गजानन कीर्तिकर से की है. खास कर युवा और विद्यार्थी सेना में बुजुर्गों का कब्ज़ा से जिले के शिवसैनिक व्यथित हैं.

सेना के निरुपम भक्त पूर्व विधायक भी भाजपा-कांग्रेस के संपर्क में ज्यादा रहते हैं. कांग्रेस को चुनाव में तो भाजपा के संग विकास कार्य हथियाने में सक्रिय है. जिले में ख़त्म हो चुकी शिवसेना के नेताओं ने बीते ४ साल में ४ संपर्क प्रमुख बदला. आगामी लोकसभा चुनाव में रामटेक लोकसभा और नागपुर लोकसभा चुनाव के लिए सेना को मजबूत करने के लिए जिले को ज्यादा से ज्यादा वक़्त और हर सिरे से पसीना बहाकर सक्षमों पर पुनः विश्वास जाताना ही अंतिम पर्याय है. अन्यथा दोनों लोकसभा चुनाव हाथ से जाने का खतरा मोल लेने की नौबत आ सकती है.