Published On : Sat, Feb 15th, 2020

भीमा-कोरेगांव जांच मामले में शिवसेना-राष्ट्रवादी में ठनी

Advertisement

नागपुर– महाराष्‍ट्र में छत्रपति शिवाजी की तरह से शासन देने का वादा करके सत्‍ता में आए उद्धव ठाकरे की सरकार में खींचतान बढ़ती जा रही है. महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस और शिवसेना के बीच चल रही तनातनी के बीच मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीधे एनसीपी से मोर्चा ले लिया है . उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव मामले को एनआईए को सौंप दिया है जिससे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार नाराज हो गए हैं . ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि महाविकास अघाड़ी की सरकार 5 साल पूरे कर पाएगी या नहीं?

दरअसल, मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी हैं . ऐसा करते हुए उन्‍होंने अपनी सरकार के गृह मंत्रालय के फैसले को पलट दिया . राज्‍य के गृहमंत्री एनसीपी नेता अनिल देशमुख हैं और उन्‍होंने उद्धव के इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है . अनिल देशमुख ने गुरुवार को कहा कि मुख्‍यमंत्री ने भीमा कोरेगांव मामले में उनके फैसले को पलट दिया है .

Today’s Rate
Saturday 02 Nov. 2024
Gold 24 KT 78,900 /-
Gold 22 KT 73,400 /-
Silver / Kg 95,000 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

शरद पवार ने उद्धव पर साधा न‍िशाना
उधर, उसी राज्‍य के मुख्‍य सचिव (गृह) संजय कुमार ने दावा किया कि राज्‍य के गृह विभाग को भीमा कोरेगांव केस एनआईए को सौंपने से कोई आपत्ति नहीं है . अब राज्‍य में महाविकास अघाड़ी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुप्रीमो शरद पवार ने इस पूरे मामले को लेकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है . पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने का फैसला ‘असंवैधानिक’ है .

Advertisement

कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर ठीक नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है . एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया . ‘

एनसीपी के मंसूबों पर उद्धव ने फेरा पानी
पवार ने कहा, ‘भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्‍ट्र पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्‍यवहार आपत्तिजनक था . मैं चाहता था कि इन अधिकारियों के व्‍यवहार की भी जांच की जाए . लेकिन जिस दिन सुबह महाराष्‍ट्र सरकार के मंत्रियों ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की, उसी दिन शाम को 3 बजे केंद्र ने पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया . संविधान के मुताबिक यह गलत है क्‍योंकि आ‍पराधिक जांच राज्‍य के क्षेत्राधिकार में आता है . ‘

बता दें कि दो साल पहले भीमा-कोरेगांव में दलितों के एक कार्यक्रम के दौरान जमकर हिंसा हुई थी जिसमें एक व्‍यक्ति की मौत हो गई थी . राज्‍य में सरकार बदलने के बाद एनसीपी ने संकेत दिए थे कि पूरे मामले की नए सिरे से जांच की जाएगी . उधर, एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दिया और सरकार ने कहा था कि उसे अदालत के इस फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है . इस तरह से उद्धव ठाकरे ने पूरे हिंसा की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपकर एनसीपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया .

कांग्रेस-शिवसेना में जारी है तनातनी
इस बीच कभी एक-दूसरे की धुर विरोधी रही शिवसेना और कांग्रेस के बीच विभिन्‍न मुद्दों लेकर तनातनी जारी है . सावरकर का मुद्दा अभी ठंडा नहीं पड़ा था कि नागरिक संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय जनसंख्या सूची (NPR) को लेकर श‍िवसेना-कांग्रेस में ठन गई है . देशव्यापी विरोध के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 मई से 15 जून तक एनपीआर के तहत सूचनाएं कलेक्ट करने की अधिसूचना जारी की है. इस बीच महाराष्‍ट्र में कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा है कि एनपीआर के प्रावधानों पर कांग्रेस का विरोध है . इस संबंध में कांग्रेस के मंत्री सरकार से बात करेंगे .

दूसरी ओर शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा कि उद्धव साहब ने साफ-साफ कहा है कि एनपीआर अगर जनगणना जैसा ही है, तो कोई बात नहीं, क्योंकि जनगणना तो हर 10 साल में होती ही है. इस मुद्दे पर एनसीपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं . हाल ही में गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एनपीआर के विरोधियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान कहा था कि सरकार कानून विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर रही है . गौरतलब है कि एनपीआर के संबंध में महाराष्ट्र सरकार भी जल्द ही अधिसूचना जारी करेगी . इसकी पुष्टि मुंबई स्थित केंद्रीय जनगणना कार्यालय ने की है .

उद्धव सरकार की चलती रहेगी गाड़ी?
महाविकास अघाड़ी में चल रही तकरार पर राज्‍य ही नहीं पूरे देश में अटकलों का बाजार गरम हो गया है कि उद्धव सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएगी या नहीं . राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि इस तनातनी के बावजूद उद्धव सरकार को अभी कोई खतरा नहीं है . उन्‍होंने कहा कि उद्धव ठाकरे अपने इस कदम के जरिए दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपने हिंदुत्‍व और आक्रामक राष्‍ट्रवाद के मुद्दे पर कायम हैं . यहीं नहीं उद्धव यह भी जताना चाहते हैं कि इस सरकार के मुखिया वह हैं और वह जो चाहेंगे, उसे करेंगे.

शिवसेना को सता रहा यह बड़ा डर
विश्‍लेषकों के मुताबिक कट्टर हिंदुत्‍व की बात करके सत्‍ता का स्‍वाद चखने वाली शिवसेना को अब अपनी जमीन खोने का डर सता रहा है . दरअसल, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे कट्टर हिंदुत्‍व की ओर नए सिरे से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं . सीएए के खिलाफ देश में हुए विरोध प्रदर्शनों और दिल्ली के शाहीन बाग में जारी आंदोलन पर हाल ही में राज ठाकरे ने तंज कसा था . राज ठाकरे ने कहा था कि मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि भारतीय मुसलमान नागरिकता संशोधन कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं . राज ठाकरे के अवैध घुसपैठियों को निकालने की मांग को लेकर निकाले गए मेगा-मार्च में करीब 1 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था . राज ठाकरे के इस दांव से अब उद्धव ठाकरे टेंशन में हैं और अब जल्‍द ही अयोध्‍या जाकर रामलला के दर्शन करने वाले हैं.