नई दिल्ली: होटल, रेस्तरां में सर्विस चार्ज को लेकर सरकार ने एक बार फिर अपना रुख साफ किया है. खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि होटल, रेस्तरां में सेवा शुल्क पूरी तरह स्वैच्छिक ना कि अनिवार्य. पासवान ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में गाइडलाइन तैयार कर ली है. अब होटल और रेस्तरां सेवा शुल्क की दर तय नहीं कर सकते, इसे ग्राहकों के विवेकाधिकार पर छोड़ना चाहिए.
पासवान ने कहा कि सरकार ने इससे संबंधित गाइडलाइन को मंजूरी दे दी है। पासवान ने कहा कि होटल और रेस्तरां सेवाशुल्क नहीं तय करेंगे बल्कि यह ग्राहक के विवेक पर निर्भर करेगा। इन दिशानिर्देशों को अब जरूरी कारवाई के लिये राज्यों को भेजा जाएगा।
पासवान ने ट्वीट किया, ‘सरकार ने सेवाशुल्क पर दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। दिशानिर्देशों के अनुसार सेवाशुल्क पूरी तरह से स्वैच्छिक है न कि अनिवार्य।’ उन्होंने लिखा, ‘होटल और रेस्तरां को यह नहीं तय करना चाहिए कि ग्राहक कितना सेवाशुल्क दें बल्कि यह ग्राहक के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए।’ मंत्री ने कहा, ‘दिशानिर्देश जरूरी कार्रवाई हेतु राज्यों को भेजे जा रहे हैं।’
Hotels/Restaurants should not decide how much Service Charge is to be paid by the customer &it should be left to the discretion of customer.
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) April 21, 2017
Guidelines are being sent to states for necessary action at their ends.
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) April 21, 2017
गाइडलाइंस के मुताबिक बिल में सेवाशुल्क भुगतान के हिस्से को खाली छोड़ा जाएगा जिसे ग्राहक द्वारा अंतिम भुगतान से पहले अपनी इच्छा से भरा जाएगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर सेवा शुल्क अनिवार्य रूप से लगाया गया है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और कड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकती है क्योंकि वर्तमान उपभोक्ता सुरक्षा कानून मंत्रालय को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता है। लेकिन नए उपभोक्ता सुरक्षा विधेयक के तहत गठित किए जाने वाले प्राधिकार के पास कार्रवाई करने का अधिकार होगा।
पिछले हफ्ते पासवान ने कहा था कि सेवा शुल्क का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह गलत ढंग से लगाया जा रहा है। हमने इस मुद्दे पर परामर्श पत्र तैयार किया है। हमने उसे मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजा है।
होटल-रेस्तरां मालिकों की दलील
सर्विस चार्ज पर सरकार पहले भी अपना रुख साफ कर चुकी थी कि ये स्वैच्छिक है ना कि अनिवार्य. होटलों-रेस्तराओं को ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं होगा. इसका होटल-रेस्तरा मालिकों ने विरोध भी किया था. इनका कहना है कि वह अच्छी सेवाओं के लिए सर्विस टैक्स लेते हैं. इसे कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है. इनकी ये भी दलील थी कि सरकार के इस फैसले से विवाद बढ़ेगा और ग्राहकों और उनके बीच झगड़े की नौबत आएगी.
नहीं मानी हिदायत
बता दें कि 2017 की शुरुआत में ही कंज्मयूर अफेयर मिनिस्ट्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा था कि वह होटलों और रेस्तराओं को सचेत कर दें कि अब वो ग्राहकों से जबरन सर्विस टैक्स नहीं ले सकते. लेकिन होटलों और रेस्तरांओं ने इस आदेश की अनदेखी करते हुए अब तक 5 से 20 प्रतिशत तक सर्विस टैक्स लेना जारी रखा है.