नागपुर। हाई कोर्ट के आदेशों के पालन में लापरवाही के चलते दाखिल की गई अवमानना याचिका के मामले में अन्य पिछड़ा बहुजन कल्याण विभाग की सचिव विनिता सिंघल को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा। हालांकि, शपथपत्र दाखिल करने के बाद हाई कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।
मामला 2 मार्च 2019 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से जुड़ा है, जिसके तहत शिक्षकों को सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना (ACPS) के अंतर्गत समयबद्ध लाभ दिए जाने थे। लाभ नहीं मिलने पर अनिल जाधव और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2 नवंबर 2023 को चार महीने के भीतर लाभ देने का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर की, जिसके आधार पर सचिव सिंघल को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था।
पिछला संदर्भ:
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि पहले भी इसी प्रकार के मामलों में आदेश पारित किए जा चुके हैं—
रिट याचिका 7123/2017 (विकास बी. जाधव व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य) में 15 जनवरी 2018 को
रिट याचिका 7118/2017 (गोपाल आनंद शिंदे बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य) में 25 नवंबर 2019 को
इन आदेशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं को पहले चरण का लाभ मिल चुका है। उल्लेखनीय है कि 2 मार्च 2019 की अधिसूचना के अनुसार ACPS योजना को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप संशोधित किया गया है, जिसके तहत 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा के बाद लाभ देय हैं। योजना 1 जनवरी 2016 से प्रभावी है।
कोर्ट का आदेश:
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि संबंधित प्राधिकरण को याचिकाकर्ताओं की पात्रता की जांच कर यह तय करना होगा कि वे योजना के तहत दूसरे चरण के लाभ के अधिकारी हैं या नहीं। यह प्रक्रिया आदेश की प्रति प्राप्ति के आठ सप्ताह के भीतर पूरी की जानी थी और पात्र पाए जाने पर चार महीने के भीतर लाभ प्रदान किए जाने थे।
इस आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। शपथपत्र दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट ने सचिव विनिता सिंघल को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट प्रदान कर दी।