– इससे WCL को हो रहा बड़ा आर्थिक नुकसान
नागपुर – WCL अंतर्गत नए खदान के लिए GEOLOGICAL और MINING सर्वे बाद उस खदान के खोलने के लिए मंजूरी बाद WCL प्रबंधन प्रस्तावित खदान का सम्पूर्ण क्षेत्रफल तय होने के बाद SEC-4 ( जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए ) लगाने में आनाकानी करती हैं, इस वजह से नए खदान खोलने का खर्च बढ़ने के साथ बड़े बड़े धांधली को सफल अंजाम दिए जा रहे,जिसमें संबंधित वेकोलि कर्मी भी लाभार्थी बतलाए जा रहे। उक्त मामले को नए CMD मनोज कुमार गुप्ता ने गंभीरता से लेना चाहिए,उक्त मांग MODI FOUNDATION ने की हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खदान का ग्रेड के अनुसार खदान शुरू करने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती हैं। इसके बाद खदान ( खदान,OB, ऑफिस, रेल ट्रैक,साइडिंग आदि ) के लिए क्षेत्र तय होने बाद लगभग 800 से 900 एकड़ जगह अधिग्रहण करने की योजना बनाई जाती हैं। इसके लिए सबसे पहले उन प्रस्तावित जमीन पर SEC 4 लगाया जाना चाहिए लेकिन यह धारा लगाने के पूर्व वेकोलि के संबंधित कर्मी/अधिकारी स्वयं के लाभ में लिए उक्त जगह वेकोलि में जाने का मामला प्रचार प्रसार कर देते हैं, इससे इन जमीनों की सौदे के हिसाब से 2 से 3 बार खरीदी-बिक्री हो जाती हैं, कुछ प्रस्तावित जमीन पर 2-2 नाम चढ़ा देते हैं, हुए सौदे के हिसाब से एक नौकरी लेता हैं तो दूसरा जमीन का मुआवजा। कुछ मामले में एक जमीन के टुकड़ों पर 2-3 नाम चढ़ा दिया जाता ताकि एक के बजाय 2 को नौकरी मिल जाए।
वेकोलि के लिए जमीन अधिग्रहण हेतु जो प्रचलित नियम हैं, वह यह कि 2 एकड़ जमीन के एवज में 1 नौकरी और जमीन का मुआवजा दिया जाता हैं। इसके अलावा जिसने नौकरी के लिए हामी नहीं भरी तो उन्हें मासिक 30000 रुपए दिया जाने का भी नियम हैं। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने में 1 वर्ष लगा दिया जाता हैं, अगर खदान क्षेत्र तय होने बाद तुरंत SEC-4 लगा दिया जाए तो वेकोलि को बड़ा राजस्व नुकसान से बचाया जा सकता हैं।
SEC-4 लगाने में देरी होने से शेष प्रक्रियाओं को पूर्ण करने में देरी के साथ अन्य विवाद को गहराने में समय मिलता हैं। कन्हान क्षेत्र में SKY की जमीन थी,उसने वेकोलि को ‘नाको चने चबवाए’.जब उन्हें मनमाफिक लाभ हुआ तब उसने जमीन दी। एक अन्य घटना में चंद्रपुर के पूर्व सांसद ने नंदोरी गांव भद्रावती -वरोरा मार्ग के निकट ऐसी ही बड़ी घटना को अंजाम दिया। यहां वेकोलि OPENCAST खदान शुरू करने वाली हैं, इस खदान में नौकरी दिलवाने हेतु हज़ारों इच्छुकों से लाखों समेत लिये लेकिन 6 साल बीत जाने बाद भी यह खदान आजतक शुरू नहीं हो पाया। क्योंकि यह खदान ‘इकोनॉमिकल वायवल’ नहीं था,के दफे रिपोर्ट तैयार किये गए लेकिन बारम्बार फेल हो गया। सूत्र बतलाते हैं कि इस खदान के खुलने और उत्पादन से 700/टन का नुकसान बताया जा रहा।