नागपुर। बेसा-बेलतरोडी के पास वेलाहारी स्थित भूमि के नियमितिकरण के संदर्भ में 31 जनवरी 2024 को जारी एसडीओ के आदेश को जिलाधिकारी कार्यालय ने पुनर्विचार अर्जी के बाद निरस्त कर दिया। इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए ज्ञानेश्वर वानखेडे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और जिलाधिकारी, अतिरिक्त जिलाधिकारी, एसडीओ, तहसीलदार एवं वेलाहारी गट ग्राम पंचायत के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से याचिका में संशोधन की मौखिक अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने तुरंत मंजूर कर लिया।
याचिकाकर्ता के वकील के तर्क
वकील ने बताया कि एसडीओ ने विधिसम्मत प्रक्रिया अपनाते हुए 31 जनवरी 2024 को नियमितिकरण आदेश पारित किया था, जिसे वेलाहारी गट ग्राम पंचायत सचिव की पुनर्विचार अर्जी पर जिलाधिकारी ने बिना नोटिस दिए निरस्त कर दिया। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है।
हाई कोर्ट के आदेश और कानूनी दलील
हाई कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को दिए गए अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी वैधानिक अपील पर निर्णय से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। याचिकाकर्ता ने हुकुमचंद शंकरलाल गांधी बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता की धारा 258(2) के तहत पुनर्विचार का अधिकार सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत पुनर्विचार के समान है और यह तभी लागू किया जा सकता है जब संबंधित परिस्थितियां स्पष्ट हों।
मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट सभी पक्षों के जवाबों के आधार पर निर्णय लेगा।