नागपुर: बर्डी स्थित महाराजबाग रोड पर संचालित शंकर भोजनालय को लेकर जारी तहसीलदार के नोटिस के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए नागपुर खंडपीठ ने संचालक हरीश वासवानी को अंतरिम राहत दी है, लेकिन साथ ही स्पष्ट चेतावनी भी दी है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि यदि वासवानी 10 दिनों के भीतर वैधानिक अपील दायर नहीं करते हैं तो भोजनालय में मौजूद वस्तुओं की जब्ती की कार्यवाही से रोक हटा ली जाएगी।
ग्रेच्युटी आदेश को दी थी चुनौती
याचिकाकर्ता वासवानी की ओर से बताया गया कि श्रम न्यायालय के समक्ष ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत एक मामला लंबित था, जिसमें नियंत्रण प्राधिकारी ने 27 फरवरी 2023 को एकतरफा आदेश पारित किया। इस आदेश की जानकारी याचिकाकर्ता को नहीं थी क्योंकि वर्ष 2024 तक भोजनालय का संचालन नरेश लालचंद खुशलानी द्वारा किया जा रहा था और बाद में स्वामित्व याचिकाकर्ता मयूर हरीश वासवानी को सौंपा गया।
सरकारी पक्ष की आपत्ति, कोर्ट का संतुलित रुख
सुनवाई के दौरान सहायक सरकारी वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पास ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत अपील दायर करने का प्रभावी वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है, जिसे अपनाना चाहिए था। कोर्ट ने इस आपत्ति को स्वीकारते हुए याचिकाकर्ता को अपील दायर करने की अनुमति दी।
व्यवसाय पर असर की आशंका
वासवानी के वकील ने तर्क दिया कि अपील दायर करने की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा और इस बीच यदि तहसीलदार द्वारा जारी 13 मई 2025 के नोटिस के आधार पर जब्ती की कार्यवाही शुरू होती है, तो व्यवसाय को नुकसान पहुंचेगा। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश की तारीख से 10 दिनों की मोहलत देते हुए वैधानिक अपील दायर करने की अनुमति दी और तब तक नोटिस की प्रभावशीलता पर रोक लगा दी।
निष्कर्ष
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता तय अवधि में अपील दायर नहीं करते हैं, तो तहसीलदार द्वारा जारी नोटिस के आधार पर जब्ती की कार्यवाही की जा सकेगी। मामले की अगली सुनवाई अपील प्रक्रिया के बाद संभावित है।