Published On : Wed, Feb 13th, 2019

मनपा के संशोधित बजट में एक तिहाई पर कैंची चलने की संभावना

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बजट संशोधन की उलटी गिनती शुरू

नागपुर महानगरपालिका की वर्ष २०१९-२० के लिए प्रस्तावित बजट तैयार करने का काम अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. इसके लिए पिछले एक माह से सभी विभागों से जानकारी और खर्च का लेखा-जोखा मंगवा लिया गया है. सम्पूर्ण संकलन के बाद मनपा आयुक्त वर्तमान वर्ष का संशोधित बजट पेश करने के साथ ही साथ वर्ष २०१९-२० का प्रस्तावित बजट पेश करेंगे.

चुंगी के बाद एलबीटी बंद होने से मनपा के बड़े आय का रास्ता बंद हो गया था. वहीं मासिक रूप से मिलनेवाले जीएसटी से मनपा पूरी तरह लड़खड़ा गई थी. जिसे पिछले माह स्थाई समिति सभापति विक्की कुकरेजा के प्रयासों से पटरी पर लाया गया. इनके कार्यकाल के अंत तक राज्य सरकार के पास बकाया अनुदान मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

मनपा के मुख्य आय स्त्रोत संपत्ति कर और जल कर हैं. जिसका ग्राहकों पर सैकड़ों करोड़ बकाया है. इसकी वसूली में प्रशासन के ढीले रवैय्ये से हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए का बकाया बढ़ता जा रहा है.

मनपा को नगर रचना विभाग,बाजार विभाग,विज्ञापन विभाग,अग्निशमन विभाग आदि के मार्फ़त समाधानकारक आय नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरी ओर मनपा को कर्मचारियों सह विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों सहित निजीकरण के तहत दिए गए विभागों/कार्यों का मासिक भुगतान भी कुछ वर्षों से करना पड़ रहा है जिसे वे नियमित नहीं कर पा रहे हैं. कर्मचारियों का बकाया और पेंशन सह सेवानिवृत्ति राशि भी देने में टालमटोल रवैय्या अपनाते देखे गए हैं.

मनपा की आय फ़िलहाल अनुदानों पर निर्भर हो चुकी है. जबकि मनपा संपत्ति मामले में काफी सक्षम है. जिसका आज तक ऑडिट नहीं किया गया. इस वजह से मनपा को हर साल खुद की जमीनें खोनी पड़ रही हैं. बाद में अतिक्रमणकारियों को नियमित करने की नौबत आ रही है. इन सम्पत्तियों का सेवानिवृत्त तहसीलदारों के मार्गदर्शन में ऑडिट करवाकर उसकी सुरक्षा दीवार से घेरा जाना जरूरी है. इसके बाद उस जगह का रहवासी या व्यवसायिक उपयोग के लिए लीज पर देने से मनपा की आय होगी. दूसरी ओर मनपा द्वारा किए जा रहे विकासकार्यों की जरूरत की सोशल ऑडिट होनी जरुरी है. इससे विकासकार्य की महत्ता और मनपा की आय होगी. अब देखना यह है कि मनपा के बाहरी अधिकारियों की टीम आगामी बजट में क्या दूरदर्शिता दिखाती है.