काटोल– नए शैक्षणिक साल के पहले दिन की विद्यार्थियों को उत्सुकता रहती है. नए गणवेश, नई किताबें, नए दोस्त, पुराने दोस्तों से मुलाक़ात ऐसे वातावरण के कारण स्कुल के परिसर में चकाचौंद रहती है. लेकिन 2020-21 का शैक्षणिक सत्र शुक्रवार 26 जून से विदर्भ में शुरू होने के साथ ही स्कूली इतिहास में पहली बार स्कुल के पहले दिन में स्कुल शुरू होगी,पर स्कुल की घंटी नहीं बजेगी और स्कुल में विद्यार्थी भी नहीं आएंगे.
यह बदलाव कोरोना को लेकर प्रशासन को करना पड़ रहा है. इसकी तरफ अब विद्यार्थी और पालकों का भी ध्यान गया है. स्कुल के अनुसार स्कुल मैनेजमेंट समिति और शिक्षकों समेत सभा लेकर स्कुल किस प्रकार शुरू की जाए, इस बारे में नियोजन किया जाएगा. स्कुल के एडमिशन, मैनेजमेंट, टाइमटेबल, स्कुल का टाइमटेबल, सोशल डिस्टेंस, मास्क, स्कुल और क्लास सेनिटाईज ऐसे अनेको प्रश्नों पर इस साल काम करना होगा.
जून में काटोल के ग्रामीण भाग रिधोरा में पहली केस सामने आयी. तीन लोग कोरोना बाधित पाए गए थे. उसके बाद चेन ब्रेक करने में काटोल के ग्रामीण रुग्णालय और तहसील स्वास्थ अधिकारियों को इसमें सफलता मिली.
अब स्कुल शुरू होने से स्वास्थ विभाग,परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस, सुरक्षा विभाग की जिम्मेदारी बढ़ने की जानकारी आपत्ति व्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष और उपविभागीय अधिकारी श्रीकांत उंबरकर ने दी है.
कोरोना के संक्रमण के कारण देशभर की स्कुल बंद होने के साथ साथ कई स्कूलों ने ऑनलाइन पद्धति से पढ़ाई कराना शुरू कर दिया है. शहरी भागों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कुछ सुविधाएं है, लेकिन ग्रामीण भागों में ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तो वही 26 जून से नए सत्र की शुरुवात हो रही है, ऐसे में ऐसा दिखाई दे रहा है की स्कुल शुरू रहेगी, लेकिन घंटी नहीं बजेगी.
शुक्रवार से व्यवस्था के अनुसार स्कुल शुरू हो रही है. राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने नए सत्र के लिए विद्यार्थियों को शुभेच्छा दी है. इसके साथ ही शिक्षक, विद्यार्थी, और पालकों को प्रशासन के मार्गदर्शन और सुचना का पालन करने के निर्देश भी दिए है.
इस बारे में गटशिक्षणाधिकारी दिनेश धवड ने जानकारी देते हुए बताया की कोविड-19 के प्रभाव विद्यार्थियों पर न पड़े इसके लिए पहले स्तर पर 1 जुलाई से केवल माध्यमिक क्लास 9 से 10, इसके साथ ही जूनियर कॉलेज 12वी की क्लास तीन-तीन घंटो की और हरएक क्लास में 30 विद्यार्थी और हरएक बेंच पर केवल एक ही विद्यार्थी बैठे, ऐसी व्यवस्था की जाएगी. प्रशासन ने जैसा निर्णय लिया है, वैसे ही केंद्रप्रमुख, प्रिंसिपल और शिक्षकों ने करना चाहिए.
