Published On : Thu, Jul 26th, 2018

स्कूल प्रबंधन, परिवहन विभाग, यातायात पुलिस विभाग के सुस्त रवैय्ये के कारण स्कूली बच्चों की आफत में जान

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नागपुर: स्कूल बस वाहनचालक की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों के मौत के मामलों को देखते हुए सख्त उपाययोजना करने की मांग नागरी हक्क संरक्षण मंच व सूचना अधिकार कार्यकर्ता महासंघ की ओर से पुलिस अधीक्षक से गई है. हाल ही में अकोला में स्कूल बस चालक की गलती के कारण तीन साल के विद्यार्थी की मौत हो गई थी. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाओं में छोटे छोटे बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ी. बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन, परिवहन विभाग, यातायात पुलिस विभाग गंभीरता नहीं दिखा रही है. परिवहन विभाग द्वारा स्कूल बस के लिए समय समय पर सख्त नियम तो बना दिए गए हैं, लेकिन यह नियम केवल कागजी ही साबित हो रहे हैं. हालांकि शहर में पालक वर्ग और परिवहन विभाग के जागरुकता में कुछ प्रमाण में सुधार दिख रहा है. लेकिन ग्रामीण भाग में अभी भी स्कूल बसें नियमों का उल्लंघन करती हुई नजर आ रही हैं और परिवहन व यातायात पुलिस विभाग को ठेंगा दिखाकर इन विभागों की असमर्थता जनता के सामने ला रही है.

आरटीआई कार्यकर्ता शेखर कोलते के अनुसार स्कूल बस के लिए लागू किए गए नियम के अनुसार संचालन व नियंत्रण के लिए स्कूल के प्रिंसिपल, स्कूल व्यवस्थापन समिति, स्कूल परिवहन समिति, स्थानिक यातायात पुलिस विभाग व परिवहन विभाग इन्हे जिम्मेदारियां दी गई हैं. स्थानीय स्कूल बस के विषय में परिक्षण व सूचना को लेकर इनकी समय समय पर संबन्धित विभागों को रिपोर्ट देनी होती है. लेकिन इतना करने के बाद भी ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं. और ऐसी घटनाएं होने के बाद इसके लिए जिम्मेदार बस चालक सभी नियमों का उल्लंघन करने की जानकारी परिवहन व पुलिस विभाग की जांच में सिद्ध हो रही है. ऐसा दिखाई दे रहा है कि इतनी समितियां और विभाग अपनी जिम्मदारियां केवल कार्यालय व कागजों पर ही पूरा करके नियमों का उल्लंघन करते हैं. जिम्मेदार बस चालक के ऊपर ही सभी आरोप थोपकर समिति और विभाग कार्रवाई पूरी करते हैं और आजाद हो जाते हैं. शासकीय और प्रशासकीय प्रणाली अंतर्गत दी हुई जिम्मेदारी व कार्य निश्चित समय पर दिए हुए नियमानुसार पूरा न करना यह एक गैरकानूनी और दंडात्मक अपराध है. इनके सुस्त रवैय्ये के कारण किसी व्यक्ति का आर्थिक नुक्सान हुआ या उसकी मौत होती है तो इसके लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराकर सभी पर कानून के हिसाब से दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए शासन और प्रशासन आगे क्यों नहीं आता यह एक बड़ा प्रश्न है.

इसके लिए हर एक स्कूल, कॉलेज, पुलिस स्टेशन में परिवहन समिति गठित कर उसका फलक कार्यालय में लगाया जाए. स्कूल व व्यवस्थापन की परिवहन समितियां, परिवहन विभाग व यातायात विभाग द्वारा स्थानिक सभी स्कूल बसेस का परिक्षण करने का मासिक या तीन महीने का ऑडिट परिवहन व यातायात पुलिस विभाग द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के सामने पेश किया जाए. ऑडिट पेश न करनेवाले या झूठे ऑडिट करनेवाले अधिकारी और कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई कर उन्हें निलंबित किया जाए. भविष्य में ऐसी कोई भी दुखद घटना होती है तो समिति के अधिकारियों के सुस्त रवैय्ये के कारण आर्थिक या शारारिक नुक्सान होने पर या उसकी मौत होने पर स्कूल के प्रिंसिपल, स्कूल संचालक, स्कूल व्यवस्थापन समिति, स्थानिक परिवहन विभाग व स्क्वॉड, स्थानिक पुलिस स्टेशन के यातायात पुलिस अधिकारी इन सभी पर भारतीय दंड संहिता के कलम के अनुसार सदोष मनुष्य वध का अपराध दाखिल कर उन पर दंडात्मक कार्रवाई कर उन्हें सेवा से निलंबित किया जाए.

दुर्घटना में आर्थिक नुक्सान या जनहानि होने पर पीड़ित या मृतक के रिश्तेदारों को दोषी अधिकारियों की संपत्ति से तुरंत आर्थिक नुक्सान भरपाई दी जाए. ऐसे सख्त नियम करके इसका पालन करने का प्रावधान अपने विभाग द्वारा किया जाए. ऐसी मांग नागरी हक्क संरक्षण मंच व सूचना अधिकार कार्यकर्ता महासंघ के जिला कार्याध्यक्ष शेखर कोलते ने पुलिस अधीक्षक को निवेदन देकर की है.

विद्यार्थियों के पालक भी रहे जागरुक
इस बारे में सबसे पहले पालकों ने ही जागरुक होना जरूरी है. अपना बेटा या बेटी जिस स्कूल बस या वैन में जाते हैं उसका नियमनुसार संचालन हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी लें. स्कूल के पालक शिक्षक समिति, स्कूल व्यवस्थापन समिति, स्कूल परिवहन समिति की मासिक बैठक लेने की जानकारी मांगें. इसमें कुछ भी त्रुटि दिखाई देने पर या संदेह होने पर तुरंत स्कूल मैनेजमेंट, परिवहन विभाग और पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत करें.