नागपुर: सेंट्रल इंडिया पब्लिक स्कूल द्वारा संचालित लिटिल पर्ल कान्वेंट की बस में वीरथ की हुई दुर्घटना के संदर्भ में स्वयं संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इसे जनहित के रूप में स्वीकार कर लिया. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान स्कूल बसों की पार्किंग को लेकर सरकारी पक्ष की ओर से दायर किए गए हलफनामा में कोई भी स्पष्टता नहीं होने के बावजूद सकारात्मक जवाब भी नहीं देने पर न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश मुरलीधर गिरटकर ने सुनवाई में सरकारी पक्ष की ओर से सहयोग नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी जताई. साथ ही 2 सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र फिरदौस मिर्जा की ओर से बताया गया कि बसों की पार्किंग को लेकर जिन स्थानों को सुनिश्चित किया जाना है, उसकी रिपोर्ट में स्थलों के आगे आपत्ति और अनापत्ति का उल्लेख किया गया है, जिससे कौनसे पार्किंग स्थल निश्चित किए गए, इसका खुलासा नहीं हो रहा है. सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने पैरवी की.
21 आपत्तियां आने की जानकारी
अधि. फिरदौस मिर्जा ने बताया कि बसों के पार्किंग स्थल निश्चित करने के लिए समिति की बैठक हुई थी, जिसके बाद समिति ने कुछ स्थल प्रस्तावित किए थे. इनमें से 21 स्थलों को लेकर आपत्तियां प्राप्त होने की जानकारी हलफनामा में दी गई है. लेकिन इन आपत्तियों पर सुनवाई करने के बाद सूची अंतिम की गई या नहीं, इसका कोई उल्लेख ही नहीं है, जिससे पार्किंग स्थल सुनिश्चित होने के बावजूद वर्तमान में इनका उपयोग पार्किंग के लिए नहीं हो पा रहा है. जबकि शहर में स्कूल बसों की पार्किंग को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया गया.
यदि आपत्तियों पर सुनवाई नहीं हुई हो, तो पुन: प्रक्रिया कर नोटिफिकेशन जारी करने की आवश्यकता होगी. गत सुनवाई के दौरान अदालत मित्र फिरदौस मिर्जा का मानना था कि महाराष्ट्र मोटर वेहिकल रुल्स 2011 के तहत स्कूलों के शुरू होने और छूटने के समय आसपास होनेवाले बसों की भीड़ के कारण छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए बसों की पार्किंग की व्यवस्था करने का नियम है. लेकिन आरटीओ द्वारा इस संदर्भ में कुछ भी नहीं किया जा रहा है.
138 स्कूलों को बनाया प्रतिवादी
गत सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास बस उपलब्ध नहीं है. ऐसे स्कूल अन्य संस्थान की बसों का सहारा ले रहे हैं, जिस पर अदालत ने इन स्थितियों का अध्ययन कर जानकारी अदालत के समक्ष रखने के आदेश अदालत मित्र को दिए. विशेषत: याचिका में 138 स्कूलों को प्रतिवादी बनाया गया था, जिसके बाद अदालत ने सभी को जवाब दायर करने के आदेश दिए थे. अदालत के आदेशों के बाद स्कूलों की ओर से हलफनामा दायर किया गया.