नागपुर: विदर्भ के पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव और सारस पक्षियों की घटती संख्या को लेकर नागपुर खंडपीठ ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। पर्यावरणीय असंतुलन के चलते सारस पक्षियों पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए हाईकोर्ट के निर्देशानुसार अब इन्हें लाइव विद्युत तारों से बचाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी (MSEDCL) ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि भंडारा और गोंदिया जिलों के अधीक्षण अभियंता आगामी 8 मई 2025 को संबंधित जिलाधिकारियों के समक्ष विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करेंगे और लाइव तारों की एरियल बंचिंग (एक सुरक्षित विद्युत लाइन प्रणाली) के लिए बजट की मांग करेंगे। यह उपाय सारस पक्षियों को हाई वोल्टेज विद्युत तारों से बचाने के लिए अहम माना जा रहा है।
बॉक्स: कोर्ट के आदेश और योजना की स्वीकृति
MSEDCL द्वारा जानकारी प्रस्तुत किए जाने के बाद कोर्ट ने कहा कि एरियल बंचिंग की प्रक्रिया के बाद, भंडारा और गोंदिया के लोक निर्माण विभाग के अभियंता संबंधित जिलाधिकारियों से बजटीय अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी करेंगे। इससे पहले सरकार ने अदालत के समक्ष एक विस्तृत संरक्षण योजना प्रस्तुत की थी, जिसमें भंडारा और गोंदिया में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की सुरक्षा हेतु अलग-अलग निधियों का उल्लेख किया गया था। अदालत ने योजना को स्वीकृति देते हुए राज्य सरकार को प्रशासनिक मंजूरी और निधि जारी करने के निर्देश दिए।
बॉक्स: 61 करोड़ की योजना, 42 करोड़ बिजली सुधारों पर खर्च
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत विस्तृत योजना का कुल बजट ₹61 करोड़ है, जिसमें से ₹42 करोड़ लो वोल्टेज बिजली लाइनों के आधुनिकीकरण पर खर्च किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त भंडारा जिले में ₹9.67 करोड़ और चंद्रपुर जिले में ₹2.32 करोड़ सारस पक्षियों के संरक्षण पर खर्च किए जाएंगे।
यह योजना Sustaining Environment and Wildlife Assemblage (SEWA) संस्था द्वारा तैयार की गई है, जिसमें भंडारा, गोंदिया और चंद्रपुर जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों की नदियों के किनारे की रेत की भूमि सारस पक्षियों के लिए उपयुक्त निवास स्थान मानी गई है। अदालत का मानना है कि यदि समय रहते सारस संरक्षण के उचित प्रयास किए गए, तो इन पक्षियों की प्रजाति को संरक्षित किया जा सकता है।