Published On : Thu, Apr 9th, 2020

लॉकडाउन में सैकड़ो बेजुबानो का सहारा बना ‘ सेव स्पीचलेस आर्गेनाईजेशन ‘

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नागपुर – देश में लॉकडाउन का माहौल चल रहा है. होटल, रेस्टॉरेंट ,कामकाज सब ठप्प पड़ा है. इसका सबसे बड़ा नुक्सान गरीबो को उठाना पड़ रहा है. उनके खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसी के साथ नागपुर शहर में पल रहे हजारों श्वानों पर भी भूखमरी आ गई है. सभी जगह बंद होने से इन्हे भी खाने की समस्या हो रही है. ऐसे समय जब सभी इंसानो के बारे में सोच रहे है तो कई निजी एनजीओ ने आगे आकर इन लावारिस श्वानों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया है. काटोल रोड के दाभा के पास स्थित ‘ सेव स्पीचलेस आर्गेनाईजेशन ‘ के वालंटियर लॉकडाउन के बाद से ही रोजाना सैकड़ो लावारिस बेघर श्वानों को खाना खिला रहे है और भी किसी के द्वारा दिए गए फंड के बिना .

इस एनजीओ की संस्थापक स्मिता मिरे है और उनके साथ कुछ कॉलेज के स्टूडेंट्स है जो अपने पॉकेट मनी से यह एनजीओ तो चलाते ही है, इसके साथ ही इस समय सैकड़ों श्वानों को खाना भी खिला रहे है. ” सेव स्पीचलेस आर्गेनाईजेशन ‘ एक ऐसी संस्था है जो कई वर्षो से बेघर,बीमार और जख्मी श्वानो को इलाज अपने खर्च पर करती है. इस एनजीओ में कई ऐसे श्वान है,जिनका इलाज अभी चल रहा है और उनकी देखभाल भी इन लोग अपने खर्च पर करते है.

एनजीओ की संस्थापक स्मिता मिरे ने ‘ नागपुर टुडे ‘ से बातचीत करते हुए बताया की लॉकडाउन के शुरू होते ही इन्होने लावारिस बेजुबान श्वानों को खाना खिलाना शुरू कर दिया था. रोजाना सैकड़ो भूखे श्वानों को खाना खिलाया जा रहा है. स्मिता ने बताया की अब गर्मी काफी ज्यादा बढ़ गई है और ऐसे में वे और उनके सभी स्टूडेंट्स एनजीओ में श्वानो के लिए ‘ग्रीन नेट ‘ लगाते है. लेकिन लॉकडाउन के चलते कोई भी बाहर नहीं आ पा रहा है. ऐसे में उन्होंने प्रशासन से मांग की है की उन्हें अपने एनजीओ के श्वानों की व्यवस्था करने के लिए कुछ समय दिया जाए. स्मिता को और उनके सहयोगियों को एनजीओ में पल रहे श्वानों की चिंता सता रही है.

स्मिता के साथ उनके सहयोगी स्टूडेंट्स अभिजीत जाटे, प्राजक्ता देव, साक्षी सुरेखा, सौरभ वाडीभास्मे, प्रतीक अरोड़ा, दीपक डंबरे, अमित दास, अंजली भट, नम्रता मीरे यह उनका पूरा सहयोग करते है.