नागपुर: जिस कांग्रेस ने शून्य से शिखर तक पहुंचाया, बदले में उस पार्टी को कुछ न देने वाले स्थानीय कांग्रेस के नेता व पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी को पार्टी के प्रति खिलाफ़ती रुख अख्तियार करने के जुर्म में इसी सप्ताह अगले 6 वर्ष के लिए निलंबित किए जाने के संकेत मिले रहे हैं.
ज्ञात हो कि सतीश चतुर्वेदी को आज तक कांग्रेस ने उनकी मांग के अनुरूप उम्मीदवारी दी. फिर खुद के लिए, उनके समर्थकों के लिए या फिर कांग्रेस कमिटी में पद आवंटन के मामले में भी चतुर्वेदी को तरजीह दी गई. कई बार मंत्रिमंडल में भी स्थान दिया गया और साथ ही जिले के पालकमंत्री तक महत्वपूर्ण पद पर बनाए रखा. दूसरी ओर चतुर्वेदी अपने समूह में यह भी दावा करते रहे कि पार्टी ने उन्हें टिकट दिया नहीं बल्कि उन्होंने दिल्ली के नेताओं को खुश कर हमेशा टिकट ख़रीदे.
लेकिन चतुर्वेदी ने बदले में कांग्रेस के खात्में को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी. पालकमंत्री कार्यकाल में वे पूर्व नागपुर अपने विधानसभा तक ही सिमित रहे. पालकमंत्री की ताक़त तो दरअसल वर्तमान पालकमंत्री चंदू बावनकुले ने दर्शाई, वर्ना अब तक शहर व जिले के नागरिकों को अहसास ही नहीं था.
व्यक्तिगत रूप में चतुर्वेदी ने अपने समाज के लोगों या कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया, भले ही बाद में वे सभी दगा दे गए. इस चक्कर में अपार जनसैलाब वाले नेता उंगलियों पर गिनने लायक कार्यकर्ताओं तक सीमित हो गए. आज जो भी उनके संपर्क में हैं वे काफी सक्षम व स्वयंभू हैं. सिर्फ एक आधार के लिए उनका उपयोग कर रहे हैं. इन दिनों उनके साथ ‘के सीरीज’ की टीम चिपकी हुई हैं. चतुर्वेदी का फार्मूला काफी चर्चित हैं कि कोई कार्यकर्ता काम लेकर आए तो मत करो. क्योंकि वह काम निकलते ही भाग जाएगा और हम अकेले पड़ जाएंगे. काम न करने पर वह हमेशा आस में बना रहेगा.
चतुर्वेदी की बगावती तेवर पिछले मनपा चुनाव में उफान पर पहुंच गया. पार्टी के प्रभावी गुट ने चतुर्वेदी, राऊत, अनीस गुट के कई टिकट काट दिए. उक्त तिकड़ी ने बगावत में कई उम्मीदवार खड़े कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. इतना ही नहीं इस तिकड़ी ने मनपा में कांग्रेस पक्ष के बनाए गए नेता संजय महाकालकर की खिलाफत करते हुए संख्या बल पर उससे पद छीन लिया.
चतुर्वेदी की तिकड़ी से प्रदेश व राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता काफी नाराज हुए. चूंकि, अब पानी सर तक आ गया है इसलिए प्रदेश कांग्रेस उक्त तिकड़ी को ध्वस्त करने के इरादे से बड़ी कार्रवाई के संकेत देने शुरू कर दिए हैं. तिकड़ी के सरगना चतुर्वेदी को हाल ही में शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विकास ठाकरे ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस नोटिस को ग्रहण करने में सकपका रहे चतुर्वेदी द्वारा इसके खिलाफ दिल्ली के कांग्रेस के आला नेताओं को पत्र लिखे जाने की चर्चा जोरों पर है. ठाकरे के पत्र को लेकर चतुर्वेदी गुट के कार्यकर्ता ठाकरे के साथ प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
उल्लेखनीय यह है कि प्रदेश कांग्रेस सतीश चतुर्वेदी पर कार्रवाई कर तिकड़ी की जुगलबंदी पर लगाम लगाने के फ़िराक में है. इसके बाद शेष दो अन्य को विधानसभा चुनाव के वक़्त उनसे हिसाब चुकता करने की रणनीति अपनाए हुए है.
आभास होते ही दुष्यंत को किया सक्रीय
तिकड़ी के सरगना चतुर्वेदी को प्रदेश कांग्रेस के इरादों का आभास कुछ समय पहले ही हो गया था. इसलिए राजनीति से अब तक प्रत्यक्ष रूप से दूर रहे अपने इकलौते पुत्र दुष्यंत को सक्रिय कर दिया है. सरगना की अनगिनत शैक्षणिक संस्थाए हैं, जिसकी सारी दौड़-धुप दुष्यंत ही किया करते थे. लेकिन कभी नागपुर विश्वविद्यालय के सीनेट का चुनाव लड़ने से आज तक बचते रहे. इस बार पहली बार सीनेट का चुनाव पैनल बनाकर लड़े व विजयी हुए, जो पहले से तय थी. समझा जा रहा है कि भविष्य में चतुर्वेदी अड़चन में आए तो दुष्यंत को आगे कर राजनीति में जिन्दा रहने की तैयारी की जा रही है.
अब देखना यह है कि तिकड़ी सरगना चतुर्वेदी पर निलंबन की कार्रवाई कब तक होती है. इसके बाद उनके तथाकथित समर्थक का क्या रुख अख्तियार करते हैं या फिर कार्यकर्ता मौका देख चौका लगाएंगे !