Published On : Fri, Mar 20th, 2020

एनसीपी से जुड़ेंगे आदिवासी समुदाय के युवा नेतृत्व सतीश

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सुप्रीमो शरद पवार दे रहे उंगली पकड़ने का अवसर,इससे पहले जेएमएम सुप्रीमो और राहुल गांधी ने भी दिया था आश्वासन

नागपुर – राजनीत में शरद पवार की अपनी अलग छाप हैं, वे भले ही शीर्ष पर नहीं पहुंच पाए लेकिन दूरदृष्टि के कारण अनगिनत युवाओं सह ऊर्जावान के साथ ही साथ निष्ठावान को मुख्यधारा में आजतक लाते रहे। इस क्रम में पश्चिम नागपुर के निवासी उच्च शिक्षित युवा ऊर्जावान आदिवासी नेतृत्व को जल्द ही मौका देने वाले हैं।जिसकी शीघ्र ही घोषणा हो सकती हैं।

देश में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या और उसके अनुपात नेतृत्वकर्ताओं की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक रह गई। वर्तमान में झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बड़ा नाम हैं। इसके बाद आजतक कोई बड़ा आदिवासी चेहरा एनसीपी के साथ नहीं जुड़ा।पवार को इस समुदाय में जगह बनाने के लिए इस आदिवासी युवा नेतृत्व में भविष्य दिख रहा।

इस समुदाय में अपनी पैठ मजबूत करने के उद्देश्य से आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से ही आदिवासी समुदाय में एनसीपी की पैठ बनाने के लिए शरद पवार अभी से सक्रिय हो गए। इस क्रम में पिछले वर्ष नागपुर इस युवा नेतृत्व के ऊर्जा को तहरिज देते हुए उनके कार्यक्रम(उत्तर नागपुर) में विशेष रूप से उपस्थित ही नहीं रहे बल्कि उसे मुख्यधारा में लाने के लिए पीठ भी ठोक दिए। पवार की वजह से इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए कांग्रेस के तथाकथित नेता ने भी कहा था कि पवार ने जो कह दिया,वह पत्थर की लकीर होती हैं।

इसी दरम्यान इस युवा आदिवासी नेतृत्व ने पवार के निर्देश पर यवतमाल और इंदौर में आदिवासी समुदाय की अहम बैठक ली,संभवतः इसके बाद झारखंड और राजस्थान में बड़ी सभा का आयोजन करने पर विचार चल रहा। पवार के पास इससे पहले एक जमाने में पीए संगमा जैसा राष्ट्रीय चेहरा हुआ करता था।

इस युवा नेतृत्व को सबसे पहले जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन ने तहरिज दी थी,अपने पक्ष से जुड़े कार्यक्रम आयोजन,बैठक में दल-बल के साथ उपस्थित रहे लेकिन कुछ समय बाद हेमंत सोरेन द्वारा दूर कर दिए गए। इसके बाद कांग्रेस के निकट जाने के अवसर भी मिले लेकिन गांधी परिवार के सिपहसलाहकार ने करीब नहीं आने दिए। बाद में पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश के प्रभावी नेतृत्व के संपर्क में आये लेकिन उपयोग कर दरकिनार कर दिए गए। इतनी तिरस्कार के बावजूद किसी भी सफेदपोश को पलट कर जवाब नहीं दिए। संयम रखें और एक घटनाक्रम में इस आदिवासी नेतृत्व पर शरद पवार की नज़र पड़ी,उन्होंने परखा, खरे उतरने और उसमें पक्ष व खुद का भविष्य देखते हुए उसे आगे बढ़ाने का अवसर ढूंढ़ रहे।

संभवतः आगामी विभिन्न क्षेत्र के विधानपरिषद के चुनाव में पक्ष की ओर से इस आदिवासी नेतृत्व जिसे स्थानीय नागरिक सतीश पेंदाम को प्रतिनिधित्व दे सकते हैं,इनके मार्गदर्शक वाणिज्य और पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं,जिसे राजू नायडू के नाम से जाना जाता हैं । या फिर दूसरा महामंडल या फिर एनसीपी के पक्ष में आदिवासी सेल की गठन कर उसका राष्ट्रीय नेतृत्व दे सकते हैं। इनमें से किसी प्रकार का अवसर देकर पवार इस आदिवासी नेता को देश के आदिवासी बहुल क्षेत्र में सघन दौरा कर एकजुट करने की मुहिम की शुरुआत कर सकते हैं।