Published On : Fri, Dec 21st, 2018

ट्राई के नए नियम का केबल ऑपरेटर कर रहे विरोध,सर्विस प्रोवाईडर MSO का पक्ष मॉडल बेहतर समझने की जरुरत

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नागपुर : टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (ट्राई) ने केबल टीवी सर्विस बड़ा बदलाव करते हुए ग्राहकों को उनकी पसंद के मनोरंजन चैनल देखने और उसके भुगतान का नियम लागू किया है। आगामी 29 दिसंबर से यह नियम लागू हो जायेगा। टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग एंड केबल) इंटरकनेक्शन रेगुलेशन एक्ट के तहत अब केबल उपभोक्ता न केवल अपने पसंद के चैनलों को ले सकेगा बल्कि उसे ब्रॉडकास्टर द्वारा तय रेट के हिसाब से भुगतान करने की आज़ादी हासिल होगी। केबल टीवी व्यापार में डिजिटाइजेशन के बाद यह दूसरा बड़ा बदलाव है जिसे लेकर लोकल केबल ऑपरेटर (LCO) विरोध कर रहे है।

LCO का कहना है कि इससे पैकेज शुल्क में बेतहाशा इजाफ़ा हो जायेगा और वर्त्तमान में उपभोक्ता जिस पैकेज के लिए 250 रूपए का भुगतान कर रहा है उसके लिए कमसे काम 800 रूपए का भुगतान करना पड़ेगा। ट्राई के इस नए नियम का ब्रॉडकास्टर और मास्टर सर्विस ऑपरेटर (MSO) स्वागत कर रहे है जबकि देश भर के लोकल केबल ऑपरेटर इसके विरोध में है। देश के बड़े ब्रॉडकास्टर ग्रुप और MSO इस नए नियम को लेकर अपने-अपने चैनलों के माध्यम से विज्ञापन कर ग्राहकों को जानकारी दे रहे है। बावजूद इसके आम ग्राहकों में इस नए नियम को लेकर संभ्रम की स्थिति बनी हुई है।

महाराष्ट्र केबल ऑपरेटर फाउंडेशन भी इस नए नियम के विरोध में है। संस्था के विदर्भ अध्यक्ष संजय बांते के मुताबिक केबल टीवी टेरिफ ऑर्डर के हिसाब से लागू किया जाना ग्राहकों का शोषण है। इसके माध्यम से भले ही पसंदीदा चैनलों को चुनने की आजादी ग्राहकों को मिलेगी लेकिन ग्राहक जिस रेट में आज जितने चैनल देख पा रहा है उसके लिए उसे तीन से चार गुना ज़्यादा भुगतान करना होगा। LOC तीन सवाल प्रमुखता से उठा रहे है।

– ग्राहकों को जबरन प्रीपेड से पोस्टपेड सेवा में तब्दील किया जा रहा है। इससे सेवा चुनने का अधिकार ग्राहकों से छीना जा रहा है तब कैसा कहाँ जा सकता है कि ग्राहकों का अधिकर सुरक्षित है।
-टीवी पर जो विज्ञापन चल रहे है उसमे ब्रॉडकास्टर द्वारा बुके लेने का अनुरोध ग्राहकों से किया जा रहा है। अलग ब्रॉडकास्टर के बुके रेट अलग है। वर्त्तमान में सबको मिलाकर अधिकतम 300 रूपए वसूले जा रहे है। नए कानून के बाद इसका रेट 1000 रूपए के आसपास हो जायेगा क्या यह ग्राहकों का आर्थिक शोषण नहीं है ?
-जो विज्ञापन दिखाए जा रहे है उसमे सिर्फ एमआरपी बताई जा रही है जबकि इस पर टेक्स अलग से लगेगा। इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है क्या यह ग्राहकों को भ्रमित करने जैसा नहीं है ?

LCO का कहना है कि 29 दिसंबर की तारीख पास आ चुकी है बावजूद इसके MSO द्वारा अब तक सैफ या कैफ फॉर्म चैनल की लिस्ट अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस काम में देरी का असर सर्विस पर पड़ेगा केबल से चैनल अचानक गायब होने पर सारा गुस्सा LCO पर ग्राहकों द्वारा उतारा जायेगा।

LOC केबल टीवी डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया के शुरुवात से ही विरोध में रहे है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में एनलॉक सिस्टम की जगह लाये गए सेट टॉप बॉक्स के समय भी इसी तरह का विरोध दर्ज कराया गया था। ऑपरेटर्स का मानना है की यह प्रक्रिया पिछली प्रक्रिया से ज्यादा जटिल और सिरदर्द बढ़ाने वाली होगी। महाराष्ट्र केबल ऑपरेटर फाउंडेशन ने सरकार पर यह नियम लागू करने के पीछे सिर्फ रिलाइंस जियो को केबल व्यवासय में स्थापित करने और फायदा पहुँचाने का षड्यंत्र है। जियो इस व्यापार में उतर चुका है और सरकार का उसे पूरा समर्थन है।

LOC के विरोध के पीछे प्रॉफिट मार्जिन कम होने का ड़र
दरसअल LOC का ट्राई के नए नियम को लेकर विरोध की एक बड़ी वजह प्रॉफिट मार्जिन का कम होना है। डिजिटाइजेशन के बाद ऑपरेटर्स का प्रॉफिट मार्जिन कम हो गया है। डिजिटल सिस्टम की वजह से कनेक्शन में पारदर्शिता आ गयी है जबकि एनलॉक सिस्टम के समय प्रॉफिट मार्जिन 200 रूपए के लगभग थी। एक बड़ी वजह मेंटेनेंस कॉस्ट का बढ़ना भी है। ट्राई ने जो नियम बनाये है उसमे LCO और MSO का प्रॉफिट शेयरिंग तय किया जा चूका है। ग्राहकों से फ़्री टू एयर के 100 चैनलों के लिए 130 रूपए और टैक्स वसूलने का निर्देश है जबकि इसके अलावा पेड़ चैनल के रेंट पर प्रॉफिट मार्जिन 20 % रहेगी जिसमे 10 प्रतिशत हिस्सा MSO का जबकि 10 फीसदी हिस्सा LOC का होगा। LOC को लगता है कि ग्राहक केबल का शुल्क बढ़ने के डर से पेड़ चैनल का पैक नहीं लेंगे या फिर कम चैनल लेंगे जिससे उनको वर्त्तमान समय के हिसाब से फ़ायदा नहीं होगा। इससे ग्राहक अन्य प्लेटफॉर्म पर भी शिफ्ट हो सकते है। जबकि उनका मेंटेनेंस कॉस्ट मँहगाई के साथ बढ़ रहा है।

मॉडल को समझने की जरुरत है इससे सबका फायदा है -अजय खामनकर
LOC के इस विरोध पर मध्य भारत के प्रमुख MSO UCN केबल नेटवर्क के निदेशक अजय खामनकर का कहना है कि इस मॉडल को समझने की जरुरत है। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं है। ट्राई का यह नियम केबल व्यवसाय में पारदर्शिता लायेगा। ग्राहक अधिक अपने अधिकार और मनोरंजन के अधिकार को लेकर अधिक सशक्त होंगे। डिजिटाइजेशन के समय भी ऊहापोह की स्थिति खड़ी हुई थी लेकिन आज ग्राहक ,MSO और LOC इस व्यवस्था में रम चुके है। केबल का शुल्क 150 रूपए से 250 रूपए पर चला गया था पर चैनलों के प्रसारण की क्वलिटी में प्रभावी सुधार आया।

जिससे ग्राहक समाधानी रहा। इस नए सिस्टम के लागू हो जाने के बाद ग्राहक अपने पसंदीदा चैनल देख पायेगे। आये-दिन किसी चैनल के अचानक केबल में बंद हो जाने सिग्नल के डिस्टर्बेंस की दिक्कत पूरी तरह से दूर हो जायेगी। LOC को प्रॉफिट मार्जिन उसकी मेहनत पर निर्भर रहेगा। बेसिक शुल्क के अलावा नेटवर्क केपिसिटी फ़ीस का प्रावधान है। LOC जितने पैक ग्राहक को देगा उसकी प्रॉफिट मार्जिन उतनी बढ़ती जायेगी। ब्रॉडकास्टर लगातार अपने टैरिफ रेट में बदलाव कर रहे है जिस वजह से अब तक शुल्क निर्धारित नहीं हो पाया है।

नागपुर मासिक 9 करोड़ का व्यापार
देश भर में केबल का हजारों करोड़ का व्यापार है अकेले नागपुर में साढ़े चार लाख के लगभग सेट टॉप बॉक्स है। लगभग 300 LOC है 9 करोड़ के का मासिक व्यापार है। LOC के पास 10 हजार के लगभग कर्मचारी काम कर रहे है।