नई दिल्ली: भारत सरकार की फैक्ट-चेकिंग एजेंसी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसा, जलेबी और लड्डू जैसे पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थों पर कोई स्वास्थ्य चेतावनी जारी नहीं की है।
PIB ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा:
“स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में स्ट्रीट फूड या किसी विशेष भारतीय खाद्य पदार्थ को लेकर कोई चेतावनी लेबल शामिल नहीं है।”
PIB ने यह भी स्पष्ट किया कि मंत्रालय की ओर से जारी सलाह सिर्फ एक सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता पहल है, जिसका उद्देश्य लोगों को अत्यधिक तेल और चीनी के सेवन के खतरे को लेकर सजग करना है। यह किसी विशेष व्यंजन को लक्षित नहीं करती है।
“यह एक व्यवहारिक सुझाव (behavioural nudge) है, ताकि लोग सेहतमंद विकल्प चुनें और बेहतर जीवनशैली अपनाएं। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध स्ट्रीट फूड संस्कृति को निशाना बनाना नहीं है,” PIB ने कहा।
मीडिया रिपोर्टों से उपजा भ्रम
यह स्पष्टीकरण तब आया जब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने नागपुर समेत देशभर के सार्वजनिक स्थलों और कैंटीनों में समोसा-जलेबी जैसे खाद्य पदार्थों पर ‘तेल और चीनी’ से संबंधित चेतावनी बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है।
रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि AIIMS नागपुर को इस संबंध में सर्कुलर प्राप्त हुआ है और वहां इस पर काम भी शुरू हो गया है।
बढ़ते मोटापे पर चिंता
इस कथित आदेश के पीछे देश में तेजी से बढ़ते मोटापे के मामलों की चिंता को वजह बताया गया। सरकारी पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन के शिकार हो सकते हैं, जिससे भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोटापा प्रभावित देश बन सकता है।
शहरी क्षेत्रों में आज भी हर पांचवां वयस्क मोटापे से ग्रस्त है। बच्चों में भी जंक फूड और कम सक्रिय जीवनशैली के कारण मोटापा तेजी से बढ़ रहा है।
निष्कर्ष: कोई विशेष निर्देश नहीं
PIB ने साफ किया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किसी भी खास भारतीय खाद्य पदार्थ पर चेतावनी लेबल लगाने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है और इस संबंध में फैली खबरें गुमराह करने वाली व भ्रामक हैं।