Published On : Tue, Nov 5th, 2019

लर्निंग लाइसेन्स घोटाला: महिला आरटीओ अधिकारी गिरफ्तार

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नागपुर: आरटीओ के लर्निंग लाइसेन्स घोटाले में सोमवार को क्राइम ब्रांच की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने महिला अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया. इसके पहले पुलिस ने इस प्रकरण में 3 दलालों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद महिला अधिकारी संजीवनी चोपड़े को न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद संजीवनी को 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. उल्लेखनीय है कि लंबे समय से शिवसेना नेता नितिन तिवारी इस घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ रह हैं. नितिन ने ही यह घोटाला उजागर किया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर भूषणकुमार उपाध्याय ने प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी.

प्रकरण की जांच इंस्पेक्टर हेमंतकुमार खराबे कर रहे है. 27 सितंबर को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश पर सहायक आरटीओ मार्तंड नेवासकर ने सीताबर्डी पुलिस से मामले की शिकायत की थी. पुलिस ने सहायक मोटर वाहन निरीक्षक संजीवनी चोपड़े के अलावा अभिजीत खरे, शैलेष कोपुल्ला, विलास टेंगने, संजय पल्लेवाड़, मंगेश राठोड़, मिथुन डोंगरे, कनिष्ठ लिपिक दीपाली भोयर, तत्कालीन प्रणाली प्रशासक प्रदीप लेहगांवकर, दलाल अश्विन सावरकर, राजेश देशमुख, आशीष भोयर, अरुण लांजेवार, उमेश धिवधोंडे, यूटीएल कर्मचारी उमेश पानतावने और आरेंज इन्फोटेक प्रा. लि. कम्पनी के संचालक जेरम डिसूजा सहित 17 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

पहले 3 दलालों की हुई गिरफ्तारी
इस घोटाले में किसी आरटीओ अधिकारी की यह पहली गिरफ्तारी है. इस प्रकरण में दलाल सावरकर, भोयर और यूटीएल कर्मचारी पानतावने की गिरफ्तारी पहले हो चुकी है. खराबे ने बताया कि जांच के दौरान चोपड़े की सीधी मिलीभगत सामने आई है. चोपड़े के शासकीय लॉगइन पासवर्ड से निजी इंटरनेट कैफे में बैठकर लर्निंग लाइसेन्स बनाए गए थे.

इसीलिए सोमवार की सुबह पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया. सहायक सरकारी वकील श्यामसुंदर ने पुलिस की पैरवी करते हुए 5 दिन की पुलिस हिरासत मांगी. बचावपक्ष के वकील समीर सोनवने ने पुलिस हिरासत का विरोध किया. कोर्ट में मौजूद नितिन तिवारी सरकारी पक्ष को मामले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध करवाए. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 2 दिन का पीसीआर मंजूर किया.

प्रशासकीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं
इस मामले से जुड़े अधिकारी पहले भी विवादों में घिरे रहे है. चोपड़े पुलिस की गिरफ्त में आने वाली पहली अधिकारी है. अन्य के खिलाफ अब भी जांच चल रही है. पुलिस हिरासत में जाने के बाद अब नियमानुसार चोपड़े को निलंबित किया जाना चाहिए, लेकिन अब तक आरटीओ विभाग द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है. बताया जाता है कि डोंगरे पर पहले से ही रिश्वतखोरी का मामला चल रहा है. लेहगांवकर को भी चोरी के 9 ट्रकों के रजिस्ट्रेशन करने मामले में सेवानिवृत्ति के 1 महीने पहले सस्पेंड किया जा चुका है. इसके अलावा एंटी करप्शन ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया था.

टेंगने और खरे को हाल ही में प्रमोशन देकर तबादला किया गया है. राठोड़, चोपड़े, कोपुल्ला और डोंगरे का भी नागपुर से तबादला कर दिया गया है. यह मामला उजागर होने के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने राठोड़ को निलम्बित कर दिया था, जबकि अन्य का ट्रांसफर किया गया. मामला दर्ज होने के बावजूद न तो ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा और न संबंधित आरटीओ कार्यालय द्वारा मामले में अभियुक्त अधिकारियों के खिलाफ प्रशासकीय स्तर पर कोई कार्रवाई की गई.