Published On : Fri, Jul 17th, 2020

नागपुर वाला बोले ‘ तो परिवहन विभाग डोले ‘

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भ्रष्टाचार के आरोपों पर मंत्रालय का मौन
कोरोना काल में भी तबादलें तथा पदोन्नति का बाजार गर्म।

ट्रक व्यापारियोंने भी लगाया वसूली का आरोप
By Narendra Puri

नागपुर-पंकजा मुंडे सहित पूरा विपक्ष संक्रमण काल मे भी सरकार के तबादला नीति का विरोध कर रही है , लेकिन राज्य का परिवहन विभाग जैसे किसी की सुनने के लिए तैयार ही नही है।

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भिवंडी में आपराधिक मामलों के चलते सस्पेंड हुए एक आरटीओ अधिकारी के तबादले से यह साबित हो रहा है । औरंगाबाद के आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा तबादला नीति के खिलाफ याचिका भी प्रस्तुत की गई है जिसकी सुनवाई होने भी वाली है बावजूद इसके आरटीओ विभाग की तबादलो में जल्दबाजी दाल में काला होने की आशंका जरूर निर्माण करती है । वैसे भी हॉटस्पॉट बना भिवंडी कार्यालय के अधिकारी का चंद्रपुर तबादला अपने आप मे आश्चर्यचकित करने वाला है , चंद्रपुर जिला प्रशासन द्वारा संक्रमण को रोकने के लिए 17 जुलाई से 26 जुलाई तक लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई है, बावजूद इसके भिवंडी से अधिकारी चंद्रपुर परिवहन कार्यालय में दाखिल होने पर उस कार्यालय के अधिकारियों की क्या मानसिकता होगी ?

लगता है तबादलो के मामलों में सरकार ने सोचना बंद कर सिर्फ करने की ठानी है इसी लिए तो चल रही ये मनमानी है । सूत्रों के हवाले से मुंबई सचिवालय से लेकर राज्य के हर परिवहन कार्यालय में यह चर्चा है के तबादलो की यह भ्रष्टाचार युक्त श्रृंखला जिसकी मुख्य कड़ी नागपुर में है, और साफ छवि के पारदर्शी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, जिन्होंने भ्रष्ट प्रक्रियाओं पर अंकुश लगा कर राष्ट्रीय राज मार्गो को नया जन्म दिया उन्ही के गृह जिले से राज्य परिवहन मंत्रालय के मलाईदार निर्णय हो रहे है और वो भी बेहद मध्यम पद के अधिकारियों की मध्यस्थता से और इन अधिकारियों की दहशत न सिर्फ उनके समकक्ष बल्कि उनसे बड़े अधिकारियों पर भी हावी है चुकी तबादले की चाबी इनके हाथ है ।

नागपुर आरटीओ विभाग में काली कमाई अब पहले से अधिक बढ़ चली है , एक छत्र अधिकार के चलते हुकुम के मुताबिक कमाई की जा रही है। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अवैध रेती कारोबारियों पर नकेल कसने के निर्देश पुलिस विभाग को तो दिए लेकिन परिवहन विभाग की ओर से इन रेती वाहनों से प्रति वाहन प्रति माह नौ हजार रुपये कार्रवाई न करने तथा ओवरलोड चलाने में संरक्षण के लिए जाते है । जिसके लिए इन्सुरेंस बेचने वालों से लेकर अधिकारियों के दर्जनों दलाल समाज मे सक्रिय है जो वसूली कर काली कमाई अपने अधिकारियों तक पहुचाते है ।

तीन हजार गाड़ियों के हिसाब से दलालो और भ्रष्ट लोगो की कमाई तो केवल दो से ढाई करोड़ है, जो नीचे से ऊपर तक सब मे बाटी जाती है और यही वजह है नागपुर शहर और ग्रामीण आरटीओ कार्यालय इन वाहनों पर कार्रवाई नही करता, लेकिन इस गोरखधंदे के चलते राज्य सरकार को महीने में 50 से 55 करोड़ का राजस्व नुकसान हो रहा है, जो किसी ओर का नही आपका हमारा जनता का पैसा है ।

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी राज्य सीमाओ पर लगी पोस्ट पर मनमानी की बात करते करते तो सालो बीत गए, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हुई , ना ही एन्टी करप्शन विभाग चुस्ती दिखाता है । कई शिकायतों के बाद मुश्किल से कोई रंगे हाथ पकड़ कर सामने आता है ।

खैर तबादलो की भी बात करे तो बेहद विचारणीय बात है, चंद्रपुर जो एक औद्योगिक जिला है और यहां पर वाहनों की संख्या नागपुर के लगभग है, ऐसे कार्यालय में आरटीओ अधिकारियों में तबादले की भरपूर चाह है, और सचिवालय के साथ मिलकर कुछ आरटीओ अधिकारी तबादलो में आर्थिक लाभ के उद्देश्य से हस्तक्षेप कर नियमो के साथ साथ आवश्यकता और योग्यता का भी हनन कर रहे है। आपराधिक मामलों में निलंबित अधिकारी का चंद्रपुर तबादला भी अपने आप मे बड़ी गुत्थी है। परिवहन मंत्री को कैसे इस तबादले की प्रक्रिया पर आक्षेप और खेद नही हो रहा , अपने आप मे बड़ा सवाल जरूर है । विरोधी पक्ष के कई नेताओं ने इस तबादले की प्रक्रियाओं की जांच की मांग की है साथ ही आने वाले समय मे योग्य प्रक्रिया के तहत कार्यभार न करने पर सरकार को घेरने की तौयारी भी दर्शायी है ।

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