Published On : Sat, Jan 19th, 2019

नागपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को दी गई 54 हजार डिग्रियां, 532 को पीएचडी

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एक डी.लिट से सम्मानित

नागपुर: नागपुर यूनिवर्सिटी का 106वां दीक्षांत समारोह शनिवार को रेशमबाग के सुरेशभट्ट सभागृह में संपन्न हुआ. जिसमें प्रमुख रूप से एचसीएल के संस्थापक व अध्यक्ष शिव नादर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कुलगुरु डॉ.सिध्दार्थविनायक काणे मौजूद थे. इस दौरान 532 विद्यार्थियों को पीएचडी, 156 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, 9 को सिल्वर मेडल,17 प्राइजेस, ऐसे कुल 182 मेडल और पुरस्कार दिए गए.

बीएएलएलबी में सर्वाधिक सीजीपीए प्राप्त करने पर डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर विधि महाविद्यालय के राघव भांदककर को 7 मेडल और पुरस्कार, गोविदंराव सेकसरिया अर्थ व वाणिज्य महविद्यालय की इशू गिडवानी ने एमबीए में सीजीपीए में 6 मेडल हासिल किए. नागपुर यूनिवर्सिटी के डॉ.आंबेडकर विचारधारा के विभाग के विद्यार्थी मंगेश मेश्राम को आंबेडकर थॉट्स में सीजीपीए में 6 मेडल मिले, नागपुर यूनिवर्सिटी के पदव्युत्तर शिक्षा विभाग की मुनमुन सिन्हा को एम.एड में सबसे ज्यादा सीजीपीए के लिए 5 मेडल और महिला महाविद्यालय की सप्तश्रृंगी मोरासकर को एम.ए मराठी में सीजीपीए में 5 मेडल और पुरस्कार दिए गए. इस दौरान पीएचडी की 532, डी.लिट की 1, ग्रेजुएशन की 42,456, और पोस्ट ग्रेजुएशन की 11,153 डिग्रियां प्रदान की गई.

इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद एचसीएल के संस्थापक पद्मभूषण शिव नादर ने कहा कि उन्होंने अपने काम की शुरुआत डीसीएम कंपनी से की थी. देश में इमर्जेन्सी लगने के बाद उन्होंने एचसीएल की स्थापना की. एचसीएल टेक्नोलॉजी देश के सभी एयरक्राफ्ट्स में उपयोग में आती है. 1991 में जो एचपी में इन्वेस्ट किया था उसमें हमको बिज़नेस में प्रॉफिट हुआ. उसके बाद उन्होंने विचार किया कि वे यह पैसा कंपनी में लगाएंगे, लेकिन उनकी मां ने कहा कि समाज के हित में कार्य करो. उसके बाद उन्होंने फाउंडेशन की शुरुआत की. इस दौरान मौजूद नादर ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं भी दी.

इस दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वे भी नागपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व विद्यार्थी रहे हैं. 1977 के दीक्षांत समारोह में उन्हें भी पुरस्कार मिला था. यूनिवर्सिटी ने कई बड़े नेता और बुद्धिजीवी दिए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव भी यहीं के विद्यार्थी थे. अपन बारे में गडकरी ने कहा कि उनके सामाजिक जीवन की शुरुआत इसी यूनिवर्सिटी से हुई थी. यहीं से नेता के रूप में उनकी शुरुआत हुई. उन्होंने नादर के बारे में कहा कि 40 साल पहले वे तमिलनाडु से दिल्ली आए थे और अपनी कंपनी कि शुरुआत की थी. आज यह कंपनी बड़ी कंपनी है जिसका टर्न ओवर करोड़ों रुपए का है.

इस कंपनी ने 69 देशों के लोगों को रोजगार दिया है. नादर सामाजिक कार्यों में भी काफी रुचि रखते हैं. गंगा सफाई और अन्य कामों में भी उन्होंने निधि दी है. मिहान में उन्होंने 150 एकड़ जमीन देखी थी, लेकिन किसी कारणवश उन्होंने जमीन लेने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद मैंने और मुख्यमंत्री देवन्द्र फडणवीस ने उनकी शिकायतों को दूर किया और अब 2 से 3 हजार इंजीनियरों को यहां काम मिला है. यहां पर एचसीएल ने ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी शुरू किया है. उन्होंने कहा कि हमारा देश अमीर है लेकिन यहां के लोग गरीब है. गरीबी दूर करने के किए रोजगार निर्माण करना चाहिए. उन्होंने कहा की शिक्षा में गुणवत्ता जरूरी है. इस दौरान उन्होंने यूनिवर्सिटी में चल रही राजनीती और अंदरूनी अधिकारियों की राजनीती पर भी कटाक्ष किया.

इस कार्यक्रम में कुलगुरु डॉ.सिध्दार्थविनायक काणे ने कहा कि 1923 में स्थापित यह यूनिवर्सिटी अब शताब्दी पर पहुंच गई है. मध्यभारत की एक लौकिकप्राप्त यूनिवर्सिटी के नाम से नागपूर यूनिवर्सिटी को जाना जाता है. उन्होंने कहा कि नागपुर, भंडारा, गोंदिया, और वर्धा जिले के कुल 531 कॉलेज इस यूनिवर्सिटी से स्लंग्नित हैं. यूनिवर्सिटी में कुल 39 पदव्युत्तर शैक्षा विभाग, 3 संचालित कॉलेज और उच्च शिक्षा के ऐसे करीब अन्य 14 विभाग हैं. उन्होंने कहा कि अकार्यक्षम कॉलेजों की सलंग्नता रद्द करने के निर्णय भी यूनिवर्सिटी द्वारा लिए गए हैं. इस दौरान उन्होंने सभी मेडलप्राप्त विद्यार्थियों को बधाई दी है.