नागपुर: भले ही सूचना का अधिकार आम नागरिकों को सरकार के कामकाज की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता हो, लेकिन विभाग की लेटलतीफी के चलते जानकारी मिलने में देरी हो रही है। ऐसा ही कुछ हाल नागपुर विभागीय कार्यालय का है। जहां करीब 1200 से अधिक मामले प्रलंबित है। नागपुर विभाग के तहत नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर व गढ़चिरोली जिलो का समावेश है। सरकारी विभाग द्वारा जानकारी देने से आनाकानी करने के बाद 2005 में इस कानून को प्रभावी बनाया गया है। सेक्शन 19 (1)के तहत नागरिकों को बेसिक राइट्स का अधिकार दिया गया है। इसमें सरकार कौन से काम को किस तरह करती है, क्यों करती है, उसका योगदान क्या है,उ सकी लागत क्या है? जैसी हर तरह की जानकारी दी जाती है। हर एक नागरिक टैक्स का भुगतान करता है। इसलिए उसका यह पूरा अधिकार है कि वह जान सके कि उसके द्वारा अदा किये गए टैक्स का उपयोग किस तरह से किया जा रहा है। इसलिए आरटीआई एक्ट के तहत नागरिकों को सवाल पूछने की छूट दी गई है। आरटीआई का मुख्य उद्देश्य है कि सरकारी विभाग में जवाबदेही व पारदर्शिता लाया जाए। ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। लेकिन नागरिकों को जानकारी नहीं देने की बात सामने आ रही है।
क्यों अटके हैं मामले
राज्य में नागपुर जिला सबसे पहले मामलों का निपटारा करता है। लेकिन नागपुर संभाग के राज्य सूचना अधिकारी गायकवाड़ का तबादला हो गया है। जिससे मामले प्रलंबित रहने की बात अधिकारी कर रहे है।एक महीने पहले दिलीप धारड़कर ने पदभार संभाला है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अब मामले जल्द निपटेंगे।