Published On : Thu, Jul 1st, 2021

सीसी रोड घोटाले को दबाने के लिए RTI आवेदन को बनाया गया ‘फूटबाल’

– जानकारी देने के नाम पर PWD LAKADGANJ ने वित्त विभाग को और वित्त विभाग ने PWD मुख्यालय को पत्र लिख गुमराह करने की जीतोड़ कोशिश कर रही

नागपुर : एकतरफ सीमेंट सड़क फेज-2 के टेंडर देने सह अंशतः पूर्ण भुगतान करने में हुई धांधली पर जांच समिति बैठी तो दूसरी तरफ ठेकेदार को FINAL PAYEMENT दिलवाने के लिए जाँच समिति के सदस्य सह उनका विभाग सक्रिय हैं.इस सन्दर्भ में जब RTI के तहत जानकारी मांगी गई तो लोककर्म विभाग लकड़गंज,मुख्यालय और वित्त विभाग के मध्य विषय को ‘फूटबाल’ बना दिया गया.ऐसा लगता हैं कि मानो पिछले 9 माह में मनपा प्रशासन दोषी ठेकेदार ( मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड,मुंबई और मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी ) के समक्ष बौनी हो गई,इसलिए उसके खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने में हिचकिचा रही.

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प्राप्त जानकारी के अनुसार ठेकेदार कंपनी मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी की हमखास प्रभारी CE और पूरक स्थाई समिति सभापति के पहल पर पहले बोगस रिपोर्ट तैयार करवाया गया फिर जाँच समिति के अन्य सदस्यों से उस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करवाया गया तो दूसरी और ठेकेदार को अंतिम भुगतान दिलवाने के लिए BACK DATE में सेवानिवृत अधिकारियों और विभाग के पुराने कर्मियों की हस्ताक्षर कर FINAL BILL तैयार करवाकर उसे मंजूर करवाने की पहल जारी हैं.

मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी के सूत्रों के अनुसार जानकारी मिलते ही RTI कार्यकर्ता ने PWD लकड़गंज और वित्त विभाग को FINAL BILL सह अन्य दस्तावेज की मांग की तो PWD लकड़गंज जोन ने वित्त विभाग को पत्र लिख उनसे सम्बंधित फाइल की मांग की तो दूसरी ओर वित्त विभाग ने मनपा मुख्यालय स्थित PWD विभाग से उक्त फाइल की मांग करने की जानकारी RTI कार्यकर्ता को दी.

अर्थात जानकारी देने के बजाय RTI आवेदन को ‘फूटबाल’ की तरह एक विभाग से दूसरे विभाग की ओर ‘किक’ मार अपना पल्ला झड़का जा रहा.जबकि यह कड़वा सत्य हैं कि फाइनल बिल की फाइल की जानकारी मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी,मनपा की CE,SE,EE,EE,DEPUTY को पता हैं क्यूंकि यह फ़ाइल RTI आवेदक तक न पहुंचे इसलिए गुमराह किया जा रहा.

इसके बावजूद मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी से गुजारिश हैं कि उन्हें सुपुर्द की गई रिपोर्ट की पहले समीक्षा करें फिर अंतिम निर्णय अविलम्ब लेकर नागपुर शहर के लिए एक उदाहरण बने ताकि भविष्य में ऐसी घटना की जुर्रत करने के पूर्व RADHAKRISHAN B को याद करें।

नागपुर महानगरपालिका नियम के बजाय परंपरा के तहत संचलन किया जाता,जिसका जिक्र अमूमन प्रत्येक आमसभा में घाघ जनप्रतिनिधियों से कामकाज के दौरान किया जाता रहा.शायद इसलिए गुणवत्ता न रहने के बावजूद किसी को भी पदोन्नत या स्वतंत्र कक्ष दे दिया जाता और तो और टेंडर भी नियम को दरकिनार कर दे देना,परंपरा का ही हिस्सा बन चूका हैं.इसके बाद विवादास्पद अधिकारी/पदाधिकारियों के निर्देश पर ठेकेदारों के मनमाफिक खातों में भुगतान भी करवाने का सिलसिला जारी हैं.

ऐसा ही एक प्रकरण पिछले साल सितंबर माह में प्रकाश में आया,कार्रवाई के नाम पर फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई और जिस पर मनपा प्रशासन अर्थात मुंढे भक्त कुंडली मार बैठा हैं तो दूसरी ओर इनके ढुलमुल नीत के कारण प्रभारी मुख्य अभियंता – पूर्व स्थाई समिति सभापति दोषी ठेकेदार कंपनी को FINAL PAYMENT दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं.

यह इसलिए भी हो रहा क्यूंकि मनपा में मुंढे,मुद्गल और विशेष कर वीरेंद्र सिंह जैसा आयुक्त फ़िलहाल नहीं हैं,गर उनके कार्यकाल में उक्त मामला सार्वजानिक हुआ होता तो सारे सबूत देने के बाद कार्रवाई करने में 9 माह तो नहीं लगते। इस मामले में एक ही जनप्रतिनिधि जागरूक दिख रहा,वह हैं पूर्व महापौर संदीप जोशी,जिसने लगातार पत्र व्यवहार कर मनपायुक्त,महापौर,मुख्य अभियंता और लेखा व वित्त विभाग प्रमुख से कार्रवाई की मांग करते रहे,इनके भी पत्र को तरजीह नहीं देना अर्थात सत्तापक्ष की प्रशासन पर पकड़ कमजोर होने के संकेत नज़र आ रहे.

याद रहे कि उक्त मामला सीमेंट सड़क फेज-2 अंतर्गत पॅकेज 17-18 का ठेका मुंबई की विवादित ठेकेदार कम्पनी मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा डेवलपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को स्थानीय विवादित ठेकेदार कंपनी मेसर्स DC GURBAXANI के सिफारिश पर दिया गया.क्यूंकि सीमेंट सड़क निर्माण का अनुभव DC GURBAXANI को नहीं था,इन्हीं के पहल पर सीमेंट सड़क फेज-2 के निर्माण में ‘JV’ का शर्त लाया गया.यह टेंडर DC को मिले इसलिए फौरी तौर पर मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा का कागजात लगाकर और तत्कालीन अधिकारी-पदाधिकारी सह पक्ष को तोल कर ठेका हासिल किया।

ऊतक ठेकेदारों ने टेंडर शर्तो के हिसाब से एक भी शर्ते पूरी नहीं की,लेकिन करने का आश्वासन पत्र जरूर दे दिया था.क्यूंकि मनपा नियम के बजाय परंपरा के हिसाब से चल रही थी इसलिए किसी ने DC के कारनामों में अड़ंगा नहीं डाला,इस क्रम में तत्कालीन स्थाई समिति सभापति को चुनाव लड़ने के लिए 10 लाख अलग से दिए साथ ही अमूमन सभी सड़क तत्कालीन सभापति के घर के चारों ओर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी.

पॅकेज 17 अंतर्गत 24-11- 2016 से 23-4-2019 तक 9 दफे कुल 91543089 रूपए और पॅकेज 18 अंतर्गत 21-11-2016 से 7-11-2019 तक 8 दफे 74883582 रूपए नियमानुसार JV खाते में जमा करने के बजाय DC GURBAXANI के AXIS बैंक के खाते में डाले गए,भुगतान मामले पर कागजातों पर DC GURBAXANI JV लिखा जाता था.क्यूंकि JV खाते संबंधी टेंडर शर्ते पूरी नहीं की गई थी,नियमानुसार JV खाते में ही भुगतान किया जाना चाहिए था.
अब एक तरफ जाँच के नाम पर फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाई गई और आयुक्त कार्रवाई नहीं कर रहे यह प्रचारित किया जा रहा तो दूसरी तरफ प्रभारी CE सह सहयोगी पूर्व स्थाई समिति सभापति उक्त ठेकेदार कंपनी को FINAL BILL दिलवाने के लिए ताकत झोंक रहे.इसके लिए RTI कार्यकर्ता को तरह तरह से अड़ाया जा रहा.

उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त मामले को लेकर पूर्व महापौर संदीप जोशी ने 3 दफे संगीन संदेह प्रकट करते हुए प्रशासन सह जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यानाकर्षण करवाया हैं लेकिन उनके पत्र को तरजीह नहीं दे रहा अर्थात सत्तापक्ष में ही बड़ी फुट शिष्टाचार के साथ दिख रही.नतीजा प्रशासन अपनी मनमानी करने में मदमस्त हैं.इसके बावजूद RTI कार्यकर्ता ने मांग की हैं कि आयुक्त रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई करने के बजाय एक बार रिपोर्ट की समीक्षा करें या करवाए कि RTI कार्यकर्ता का आरोप अनुसार उसका जवाब संतोषजनक हैं या नहीं।क्यूंकि इसी काम के भरोसे DC GURBAXANI को अनुभव पत्र जारी कर फेज-3 का ठेका स्वतंत्र रूप से दिया गया।

जल्द ही RTI कार्यकर्ता मुख्यमंत्री,नगरविकास मंत्री,पालकमंत्री और सूचना आयोग में मामला ले जाकर सरकारी राजस्व व व्यवस्था को चुना लगाने वालों पर कड़क कार्रवाई की मांग करेगा।

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