Published On : Wed, Feb 27th, 2019

आरटीई एडमिशन कोटे के 25 प्रतिशत हिस्से में सेंध, सरल के अनुसार होगा कोटा तय

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नागपुर: महाराष्ट्र राज्य में आरटीई की सीटें घटी हैं. सरल के अनुसार आरटीई कोटा तय किया जा रहा है. ऐसे मेंआरटीई की खाली सीटों पर बैकलॉक कोटा आखिर क्यों नहीं दिया जा रहा है, यह सवाल आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो. शाहिद शरीफ ने पूछा है. उनका कहना है कि यह आरटीई नियमों का उल्लंघन है. शरीफ ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य में प्राथमिक शिक्षा संचालक के आदेशनुसार आरटीई नियमों में कहीं न कहीं फेरबदल हुआ है.

पत्र के अनुसार क्रमांक 3 में यह दर्शाया गया है कि पिछले वर्ष जो सीटें सरल में दर्शायी गई है, उतनी ही सीटों के अनुसार 25 प्रतिशत वर्ष 2019-20 में आरक्षित रखना है. लेकिन पिछले वर्ष की बात हम करें तो जहां आरटीई की 25 सीटों में से 20 सीटें भरी गई और खुले वर्ग में 75 सीटों में से 65 सीटें भरी गईं, जहां 10 सीटें खुले वर्ग की और 5 सीटें आरटीई की खाली सीटें, ऐसे कुल मिलाकर 100 में से 15 सीटें खाली छोड़ शेष 85 सीटें सरल में आयी हैं और इस आधार पर 1/3 जगह आरटीई में विद्यार्थियों को दी जाएगी.

इसमें सीधा सीधा नुकसान आरटीई में प्रवेश पानेवाले 25 प्रतिशत कोटे का हो रहा है. वहीं दूसरी ओर पिछले वर्ष में आरटीई कोटे में खाली सीटों का बैकलॉग भी सरकार नहीं दे रही है. जहां सरकार ने 1000 विद्यार्थियों में से 700 बच्चों की निधि दी वहीं 300 बच्चों की निधि आज भी सरकार के खजाने में है.

शरीफ ने इसको आरटीई नियमों का उल्लंघन बताया है. उन्होंने बताया कि नियम में स्पष्ट कहा गया है कि स्कूल के इन्टेक के अनुसार हर साल 25 आरटीई कोटा तय होगा. लेकिन संचालक के इस आदेश पर आरटीई नियम पर ही सवालियां निशान खड़े हो गए हैं. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार के शासन निर्णय के अनुसार उपसंचालक ऑनलाइन एडमिशन के अध्यक्ष होते हैं और उन्हें प्रक्रिया के पूर्व समीक्षा बैठक लेनी होती है.

जिसमें आरटीई प्रक्रिया में सम्पूर्ण कोटा और सेंटर की स्थापना व तकनिकी समस्याओं के विषय में समीक्षा की जाती है, लेकिन सन 2019-20 में कोई बैठक नहीं ली गई. शरीफ ने इससे सम्बंधित प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की डॉ. सुवर्णा खरात और मंत्रालय के अवर सचिव को भी पत्र लिखा है. जिस पर इस मामले में उन्होंने भी संज्ञान लिया है.