Published On : Wed, Sep 17th, 2014

वि. स. चुनाव : रिपा, बसपा के सामने अस्तित्व का संकट!

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रिपा को बड़े पक्षों से मिल रही उपेक्षा तो बसपा बागी उम्मीदवारों की राह तक रही. 

rpi-bspनागपुर टुडे.

महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी राजनैतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.एक और रिपा कांग्रेस,एनसीपी और शिवसेना से गठबंधन के साथ साथ मुंहमांगी सीटें  के लिए तो दूसरी ओर बसपा आगामी विधानसभा में खाता खोलने के लिए संघर्षरत है. दोनों ही पार्टी व गुट की एकता “रेत के ढेर” की तरह साबित हो रहे हैं. दोनों हो पार्टियाँ राजनैतिक जमीन पाने और अपने उद्देश्यपूर्ति करने से चुकती रही है.
ज्ञात हो कि रिपब्लिकन पार्टी गवई, आठवले, कवाडे, आंबेडकर सह कुंभारे आदि गुटों में विभक्त होकर बिखर गई है. इनमें से कोई गुट  युति के साथ तो कोई आघाडी के साथ रहकर अपन हित साध रही तो कोई गुट ‘मौका देख चौका’ मार रही है. नागपुर जिले में प्रभावी कवाडे गुट को कांग्रेस ने एमएलसी देकर अपने पक्ष में कर लिया है, तो कुंभारे गुट के इरादे से कोई वाकिफ नहीं है.
गत दिनों रिपाई समर्थक स्थानीय नेताओं की नागपुर  चिंतन बैठक हुई,जो कि बेनतीजा रही.
दूसरी ओर बसपा नागपुर शहर समस्त राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुकों का आवेदन बुलाकर उनका साक्षात्कार लेकर चुप बैठ गई है. किसने – किसने साक्षात्कार दिया उसके नाम तक सार्वजानिक नहीं कर रही है.
एक नगरसेवक ने जानकारी दी कि बसपा युति व आघाडी के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. कुछ उम्मीदवार पहले घोषित कर सकती है, जहाँ उन्हें उम्मीद है कि उनका अपना उम्मीदवार मैदान में चुनाव के अंतिम दिन तक टिका नज़र आ सकता है.
बसपा के एक कार्यकर्ता ने बताया कि युति-आघाडी से टिकट के इच्छुक जिन्हें टिकट नहीं मिली, वैसे इच्छुकों ने चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमाने की ठानी तो वैसे इच्छुकों को बसपा अपने बैनर तले मौका देगी. नागपुर जिले में भी बसपा के पास खुद का एक भी दमदार उम्मीदवार नहीं होने से उम्मीदवारों की घोषणा करने में हिचकिचा रही है.
उल्लेखनीय यह है कि पूर्वी विदर्भ प्रभारी माने उक्त हालातों के बावजूद नए, पुराने बसपाई कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोने ने सफलता हासिल करते जा रहे है. माने के प्रयासों से बसपा के अच्छे दिन की उम्मीद संभावित नज़र आ रही है. माने ने सभी रिपाइयो से बसपा के साथ  चुनाव लड़ने हेतु आव्हान किया है. यह तो १९ ऑक्टूबर को ही पता चलेगा कि बसपा ने इस चुनाव में क्या खोया क्या पाया।

द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा